Thursday, October 31, 2024
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मैं हूं हिमालय, जोशीमठ मेरी आस्था

बागेश्वर। शुक्रवार की रात उत्तरायणी कौतिक के मुख्य मंच पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में देर रात तक कवियों ने अपन रचनाएं सुनाई। दर्शकों ने कवि सम्मेलन का देर रात तक लुत्फ उठाया। कार्यक्रम संचालक अफजल मंगलोरी ने मैं हूं हिमालय, जोशीमठ मेरी आस्था है रचना से जोशीमठ की आपदा पर अपनी पीड़ा बयां की। दिल्ली से आईं शायरा अना देहलवी ने मां शारदा की वंदना करते हुए कहा- कैसे तेरी करूं वंदना, अक्षर-अक्षर है बेजान, ओ मां शारदे-ओ मां शारदे। उन्होंने दिल में जो अरमान बोलों के साथ सुंदर रचना सुनाई। जोशीमठ से आए कवि सागर डंगवाल ने भुलाने का क्या है भुला दुंगा तुझको, मोहब्बत में तुझको रुला दूंगा तुझको। पिथौरागढ़ से आए युवा कवि ललित राठौर शौर्य ने सर्जिकल स्ट्राइक पर लिखी रचना सुनाते हुए कहा- नोच लिए हैं नाखून उन खूनी पंजों से, जो हमको नोच रहे थे नापाक शिकंजों से वाहवाही लूटी। कवियत्री विभु कृष्णा ने मैं हर हाल में तेरे इश्क का ऐहतराम करती हूं, झुकाकर सर तेरे सजदे में तेरा सलाम करती हूं से वाहवाही लूटी। मुरादाबाद से आए कवि प्रवीण राही ने मैं किसान हूं, रोज पसीने से सूरज को बुझाता हूं, लोग खाते हैं नींद की गोली, मैं थकन ओढ़ सो जाता हूं।
चंपावत से आए प्रकाश चंद्र शूल ने आपूंले बुलायूं आ गयूं मैं, महफिल में तुमरि छा गयूं मैं की प्रस्तुति दी। हल्द्वानी से आईं कवियत्री नाजिया ने मैं रोरोकर, न घुट-घुटके मरना चाहती हूं मैं, धुंधलके मंजरों पर रंग भरना चाहती हूं, मैं लड़की हूं मुझे घर से निकलने की इजाजत दो, जमाने में बहुत कुछ कर गुजरवा चाहती हूं मैं कविता से रंग जमाया। भोपाल से आए कवि जलाल मैकज भोपाली ने शातिर तमाम शहर के धनवान हो गए, इनको नसीब ऐश के सब सामान हो गए, कल के लुटेरे आज के सुल्तान गहो गए कविता से समा बांधा। तमाम कवियों ने कविता पाठ किया। जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव, मेलाध्यक्ष/पालिकाध्यक्ष सुरेश खेतवाल, विधायक सुरेश गढ़िया, डीएम अनुराधा पाल आदि ने देर रात तक कवि सम्मेलन का लुत्फ उठाया।

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