फर्जी डॉक्टर बनाने वाले दोनों जालसाज भाई सिर्फ 10वीं पास हैं। इन्होंने सैकड़ों ग्रेजुएट लोगों को फर्जी डिग्रियां बेचकर मुजफ्फरनगर में करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। जो कॉलेज दोनों भाई चलाते हैं, वह भी 108 बीघा में फैला हुआ है। इसके अलावा दोनों के और भी अवैध धंधे हैं, जिनके कारण ये उत्तर प्रदेश पुलिस के रडार पर रहते हैं। इनके बारे में यूपी पुलिस को भी जानकारी दे दी गई है।
एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि इमरान नाम के आरोपी के खिलाफ सबसे पहला मुकदमा वर्ष 2008 में दर्ज किया गया था। यह मुकदमा भी इसी तरह से फर्जी डिग्री बेचने के संबंध में था। पूछताछ में आरोपी ने बताया है कि वह इस काम को अपने भाई के साथ मिलकर लंबे समय से कर रहा है। उसे एक बार लखनऊ पुलिस ने भी गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उसने कई लोगों को फर्जी डिग्रियां बेची हैं। लेकिन, हर बार की तरह वह इस मुकदमे से भी निकल आया।
दस से ज्यादा मुकदमे दर्ज
इमरान मुजफ्फरनगर जिले का हिस्ट्रीशीटर भी है। उसके खिलाफ 10 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। आरोपी ने न सिर्फ उत्तराखंड में बल्कि अन्य कई राज्यों में भी फर्जी डॉक्टर बनाए हैं। एसएसपी ने बताया कि इनकी संपत्तियों का आकलन किया जा रहा है। आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर में भी कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे में नियमानुसार इनकी संपत्तियों को जब्त किया जाएगा।
डॉक्टरों ने एसटीएफ से भी ले लिए 150 रुपये
प्रेमनगर और रायपुर में एसटीएफ टीम के सदस्यों ने मरीज बनकर क्लीनिक पर छापा मारा था। एक सदस्य ने डॉक्टर से कहा कि उनके पेट में दर्द है। उसने कुछ दवाएं लिखीं और 150 रुपये फीस ले ली। इसके बाद जब उन्हें पूछताछ के लिए एसटीएफ कार्यालय बुलाया गया तो डॉक्टर यह फीस वापस करने लगा। लेकिन, अब इन डॉक्टरों को जेल की हवा खाने सुद्धोवाला जाना पड़ा।
10वीं पास दो भाइयों ने बना दिए सैकड़ों फर्जी डॉक्टर, डिग्रियां बेचकर किया करोड़ों का साम्राज्य खड़ा
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