हल्द्वानी। पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार से जमीन मिलने के बाद 40 साल से मंच ने पर्वतीय संस्कृति को जिंदा रखने का काम किया है लेकिन आज कुछ लोग मंच कब्जाने की नियत से उत्थान मंच में दखल देने और पर्वतीय संस्कृति को तोड़ने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्थान मंच और पर्वतीय समाज के लोग इस संस्कृति को न टूटने देंगे और न मिटने नहीं देंगे। हर साल की तरह यहां इस बार भी उत्तरायणी पर्व धूमधाम से समिति की ओर से मनाया जाएगा। पदाधिकारियों ने कहा कि उत्थान मंच में न्याय के देवता गोलज्यू के अलावा अन्य कोई भी मंदिर स्थापित नहीं होने दिया जाएगा। पत्रकार वार्ता में वरिष्ठ आंदोलनकारी और मंच के संरक्षक हुकुम सिंह कुंवर ने कहा कि जमीन शासन की है लेकिन कुछ लोग प्रशासन को दबाव में लेकर जबरन मंदिर में निर्माण कार्य करने की कोशिश कर रहे हैं जिसे किसी भी हालत में नहीं होने दिया जाएगा।
अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि न्याय के देवता का मंदिर पूजा के लिए सबके लिए खुला है। उत्थान मंच में भी कोई भी सदस्यता ले सकता है लेकिन न्याय के देवता के मंदिर में कोई और देवता को स्थापित नहीं किया जा सकता है। संरक्षक भुवन जोशी बताया कि जमीन समेत सभी दस्तावेज संस्था के पास हैं। इधर पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच की कार्यकारिणी सदस्य वीरेंद्र गुप्ता ने जारी बयान में कहा कि पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच ही एक निष्पक्ष संस्था है जो पर्वतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य करती है। इसमें समाज के सभी वर्गों का भविष्य सुरक्षित है। क्योंकि यहां पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है। उन्होंने राज्य सरकार से पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच की मदद के लिए जिला प्रशासन को आदेशित करने की मांग की है।
पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच में गोलज्यू के अलावा कोई और मंदिर नहीं बनने दिया जाएगा
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