उत्तराखंड में यूरेशियन व इंडियन प्लेट के टकराने से लगातार हलचल हो रही है। पिछले 2 महीनों में ही 13 ऐसे भूकंप आ चुके हैं, जो लोगों ने महसूस किए हैं और उन्हें सिस्मोग्राफ पर भी अच्छे प्रभाव से दर्ज किया गया है। राहत की बात यह है कि भूकंप के इन झटकों से प्रदेश में कहीं भी जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। हिमालय की गहराई में लगातार हलचल जारी है। इसकी वजह से संवेदनशील जोन में मौजूद उत्तराखंड के अनेक हिस्सों में अलग-अलग समय पर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। गुरुवार की दोपहर 2:24 बजे चमोली में 3.3 मेग्नीट्यूड का भूकंप आया था। इसकी गहराई 5 किलोमीटर आंकी गई। उत्तराखंड में इसी महीने 12 फरवरी को सुबह 5:03 बजे 4.1 मेग्नीट्यूड का भूकंप टिहरी गढ़वाल में आया था। इसकी गहराई 28 किलोमीटर थी। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार के मुताबिक 13 भूकंप तो वह थे जो लोगों ने भी महसूस किए। लेकिन पिछले दो महीनों में उत्तराखंड में 130 से अधिक छोटे भूकंप भी आए हैं, जो महसूस तो नहीं हुए लेकिन सिस्मोग्राफ में दर्ज हुए। लगभग हर रोज ऐसे भूकंप सिस्मोग्राफ में दर्ज हो रहे हैं, जिनका पता आम लोगों को नहीं लगता। उनके मुताबिक यूरेशियन प्लेट, इंडियन प्लेट में हलचल होना सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसे नेचुरल फिनोमिना कहा जा सकता है। लोगों को इससे डरने की बजाय इसके साथ ही जीने की आदत डालनी होगी। लगातार छोट भूकंप आने से बड़े भूकंप का खतरा कम हो रहा है। इसलिए छोटे भूकंप से यह कहा जा सकता है कि बड़ा खतरा अभी दूर है। इससे निपटने के लिए उत्तराखंड में बहुमंजिला भवनों के निर्माण के समय बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है।
दो महीनों में 13 बार डोली उत्तराखंड की धरती, जानें कब-कहां महसूस किए गए भकूंप के झटके
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