बागेश्वर। किरन नेगी…जैसा नाम वैसा काम। दूसरों के जीवन में मुस्कान देखना और उनकी बेहतरी के लिए काम ही उनका लक्ष्य है। बेटियों को बुलंदियों की ऊंचाई पर देखना उनका मकसद है। वह चाहती हैं कि पहाड़ की बेटियां भी अपनी काबिलियत से वह सब करें जिसके लिए पहाड़ की जीवटता जानी जाती है। 34 साल की किरन नेगी जिला खेल विभाग में कोच हैं। वह बालिकाओं को ताइक्वांडो के गुर सिखा रही हैं। खुद बेहतरीन खिलाड़ी रही हैं और राष्ट्रीय स्तर की गई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं। किरन जब आठवीं कक्षा में थीं तब से ताइक्वांडो की बारीकियां सीखना शुरू किया। आज से 10 साल पहले ताइक्वांडो में बेटियां भाग लेने से हिचकती थीं। किरन ने उन्हें उन्हें प्रोत्साहित किया। शुरू में एक या दो बालिकाएं ही उनके ताइक्वांडो सीखतीं थी। इसके बाद क्रेज बढ़ता गया। वह अब तक करीब 300 बालिकाओं को ताइक्वांडो का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। उनके सिखाए कई खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग कर चुके हैं। उन्होंने सर्वशिक्षा के तहत विभिन्न स्कूलों में भी बेटियों को ताइक्वांडो के गुर सिखाए हैं। किरन राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में 25 स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।
आगे बढ़ो, कामयाबी मिलेगी
बेटियों के आगे बढ़ने और कुछ कर दिखाने के लिए कई अवसर हैं। बस उन्हें पहचानने की जरूरत है। ताइक्वांडो में भी असीम संभावनाएं हैं। बेटियों को आगे बढ़कर इसमें हाथ अजमाने चाहिए। अपना, परिवार का और देश का नाम रोशन करना चाहिए। – किरन नेगी
पहले पाया मुकाम, फिर कई बालिकाओं की राह की आसान
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