पर्यावरण की सुरक्षा और महिलाओं के स्वास्थ्य-सहूलियत के लिए रसोईघर में लकड़ी के बजाए एलपीजी गैस पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में लोग चाहकर भी रसोई गैस की सुविधा का इस्तेमाल नहीं कर पाते। दरअसल, गैस एजेंसी पर लगभग साढ़े नौ सौ रुपये में मिलने वाले गैस सिलेंडर का दाम दुर्गम के गांवों तक पहुंचते-पहुंचते 1200 से लेकर 1800 रुपये तक हो जाता है। यह अतिरिक्त खर्च सिलेंडर की ढुलाई का होता है, इसके चलते लोग सिलेंडर लेने से हिचकते हैं। पौड़ी:बीरोंखाल के दूरस्थ क्षेद्ध चैनपुर और सोलाड़ में थलीसैंड में स्थित गैस एजेंसी पर सिलेंडर एक हजार रुपये में मिलता है। यहां से सिलेंडर को गांव तक ले जाने में ग्रामीणों को अतिरिक्त रकम खर्च करनी होती है। महावीर सिंह और तेजपाल ने बताया कि कमडई से उन्हें पचास रुपये टैक्सी को देने पड़ते हैं।
भौन स्थित गैस वितरण सेंटर पर घरेलू सिलेंडर 940 व कॉमर्शियल सिलेंडर 2200 रुपये का है। सड़क से सिलेंडर वाहन, खच्चर और मजदूरों की मदद से गांव तक ले जाया जाता है। इसके लिए दो सौ रुपये तक देने पड़ते हैं। नैखाणा के सतीश बिष्ट और कफल टंडा तल्ला के पुष्पराज मधवाल ने भी बताया कि ढुलाई से खर्च बढ़ जाता है।
दुर्गम की रसोई तक दोगुने दाम में पहुंच रहा LPG सिलेंडर
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