चौखुटिया (अल्मोड़ा)। चौखुटिया के कोट्यूड़ा (तड़ागताल) अंतर्गत जाबर के नंदादेवी मंदिर में मां नंदा के रात्रिकालीन मेले का समापन हो गया है। मां नंदा के प्रतीक कदली वृक्ष को छिताड़ से लाया गया। लोगों का काफिला मां नंदा के जयकारे लगा रहा था। महिलाओं ने विभिन्न स्थानों पर अक्षत और तिलक कर मां नंदा को विदा कर आशीर्वाद लिया। सोमवार की सुबह मां नंदा के प्रतीक कदली वृक्ष को जयकारों के बीच रामगंगा नदी के दूसरे छोर पर स्थित छिताड़ (नवांण) से लाया गया। शोभयात्रा बगड़ी, टेड़ागांव, कोट्यूडा होते हुए जाबर मंदिर पहुंची, इसके बाद मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर पूजा अर्चना की गई। देर रात तक मेला जारी रहा और श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर घरों को लौटे। मेला समिति की ओर से अध्यक्ष कुबेर सिंह कठायत ने सहयोग के लिए सभी का आभार जताया।
रातभर रही झोड़ों की धूम
चौखुटिया (अल्मोड़ा)। सप्ताह भर चले कार्यक्रम के मुख्य देव डंगरिये कत्यूर घाटी के गोविंदा राम, पुष्कर, लक्ष्मण राम, नरी राम, पूरन राम आदि थे। ढोल दमाऊ वाले चमोली जिले के झूमाखेत के रमेश और पुष्कर थे। मेले के दौरान ओ नंदा, मां नंदा तू दैंण है जाए आदि झोड़े और गीतों की धूम रही। महिलाओं और पुरूषों ने संयुक्त रूप से झोड़ा गया। ग्रामीणों ने मेले में सजी दुकानों से खरीददारी भी की।
ससुराल से बच्चों संग मां का आशीर्वाद लेने आती हैं बेटियां
चौखुटिया(अल्मोड़ा)। नंदा देवी पूजा के रूप में जाने वाले इस मेले को क्षेत्र की कई ग्राम पंचायतों में वार्षिकोत्सव का दर्जा प्राप्त है। इस दौरान संबंधित गांवों की बेटियां अपने बच्चों के साथ मायके आती हैं और मां नंदा का आशीर्वाद लेती हैं। नंदा की विदाई का दृश्य भी बड़ा मार्मिक होता है। विदाई के दौरान महिलाओं की आंखें नम हो जाती हैं।
मां नंदा तू दैंण है जाए…
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