हल्द्वानी। साहित्यकारों ने कुमाऊनी भाषा के विकास में ढुलमुल नीति अपनाने पर चिंता जताई। ऊंचापुल में हुई बैठक में साहित्यकारों का कहना है कि कुमाऊनी भाषा को आज भी वह स्थान नहीं मिल पा रहा जो समाज और कुमाऊंनी भाषा प्रेमियों की मंशा है। वक्ताओं ने सरकार से भाषा की सुध लेने और कुमाऊंनी के लिए आगामी विधानसभा सत्र में संकल्प पारित कराने मांग की। अल्मोड़ा से आए कुर्मांचल कुमाऊंनी अखबार के संपादक डॉ. चंद्रप्रकाश फुलोरिया ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि वह 12 वर्षों से कुमाऊंनी अखबार निकाल रहे हैं। अखबार के माध्यम से कई बार कर मांग उठा चुके हैं, लेकिन अभी तक भाषा को वह दर्जा नहीं मिल सका। अन्य वक्ताओं ने भी बोलचाल की भाषा में कुमाऊंनी को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।
गोष्ठी में कुमाऊंनी साहित्यकार और शिक्षाविद स्व. चारु चंद्र पांडे के दोनों प्रप्रोत्र भी शामिल हुए। इस अवसर पर स्व. चारु पांडे की पुस्तक ”चारु चंद्रिका” ”कुर्मांचल अखबार”, दामोदर जोशी की लिखित पुस्तक ”भाव बिंदु” और डॉ. जगदीश चंद्र पंत की पुस्तक ”सुदामा पांडे धूमिल के कार्य में सामाजिक यथार्थ” का विमोचन हुआ। साहित्यकार गोविंद बल्लभ बहुगुणा के आवास पर हुई संगोष्ठी में डॉ. अखिल चिलवाल, गिरीश चंद बहुगुणा, विनोद टम्टा, मोहन सिंह भंडारी आदि मौजूद रहे।
नैनीताल: कुमाऊंनी भाषा की सुध ले राज्य सरकार
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