Thursday, November 28, 2024
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यहां कंठ में हलाहल धारण कर नीलकंठ कहलाए भगवान शिव, दर्शन मात्र से पूर्ण होती मनोकामनाएं

देवभूमि उत्तराखंड में प्रसिद्ध चारधाम के अलावा लोक आस्था से जुड़े कई पौराणिक मंदिर एवं तीर्थ स्थल विद्यमान हैं। इन्हीं में शामिल है तीर्थनगरी ऋषिकेश के पास स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर। यहां शिवरात्रि पर्व व श्रावण मास में लाखों शिवभक्त अपने आराध्य के दर्शन एवं जलाभिषेक को पहुंचते हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर में भगवान शिव स्वयंभू लिंग के रूप में विराजमान हैं। पुराणों में उल्लेख है कि समुद्र मंथन के दौरान कंठ में हलाहल (कालकूट विष) धारण करने के बाद भगवान शिव यहीं आकर नीलकंठ कहलाए। नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के पास पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लाक में 5500 फीट की ऊंचाई पर मणिकूट पर्वत की तलहटी में बहने वाली पंकजा व मधुमति नदियों के संगम पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए कई श्रद्धालु मोटर मार्ग के बजाय स्वर्गाश्रम से होकर जाने वाले पैदल मार्ग का उपयोग करते हैं। करीब 12 किमी लंबा यह पैदल मार्ग घने जंगल के बीच खड़ी चढ़ाई से होकर गुजरता है।

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