मौसम की बेरुखी के चलते मार्च सूखा बीत गया और अप्रैल के पहले सप्ताह में भी मेघ नहीं बरसे। वहीं आने वाले अगले चार दिनों बारिश की कोई संभावना नहीं है। ऐसे में गर्मी और बढ़ने की संभावना है। मौसम विभाग ने नौ और 10 अप्रैल को वन विभाग को सतर्क रहने की सलाह दी है। लगातार पारे के चढ़ने से जंगलों में आग लगने की घटनाओं में तेजी आ सकती है। वहीं पूरे प्रदेश की बात करें तो हर साल मार्च में औसतन 54.9 मिलीमीटर बारिश होती है, जो इस वर्ष 2.2 मिलीमीटर पर सिमट गई। यह सामान्य से 96 प्रतिशत कम है। खासकर देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, टिहरी, पौड़ी और अल्मोड़ा में करीब सवा माह से मेघ नहीं बरसे हैं। जबकि, इन जिलों में मार्च में सामान्य बारिश 10 मिलीमीटर से 46 मिलीमीटर तक दर्ज की जाती रही है। शेष सात जिलों में भी नाममात्र की बारिश हुई है।
जंगल में फैली आग, वन विभाग के फूले हाथ-पांव
उत्तराखंड में गर्मी बढ़ने के साथ जंगल की आग भी तेजी से फैलने लगी है। वन विभाग के लिए आग बुझाना चुनौती बन गया है। पहाड़ों में ग्रामीणों की मदद से आग को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। बीते एक दिन में 32 स्थानों पर जंगल की आग धधक उठी। जबकि, एक दर्जन के करीब क्षेत्रों में आग बुझाने के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।
बिजली की खपत बढ़ने के साथ कटौती का झटका
भीषण गर्मी के बीच उत्तराखंड में बिजली की खपत बढ़ गई है। जबकि, उपलब्धता मांग के सापेक्ष नहीं है। ऊर्जा निगम मांग को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय बाजार से बिजली खरीद तो रहा है, लेकिन वहां भी पर्याप्त बिजली न मिल पाने से निगम की चुनौती बढ़ गई है। ऐसे में प्रदेश के ग्रामीण और औद्योगिक इलाकों में फिर से कटौती की जाने लगी है। बिजली की किल्लत के चलते ऊर्जा निगम ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा कटौती कर रहा है। कई शहरी इलाकों में भी कुछ-कुछ देर के कट लगाए जा रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्रों में भी कटौती देखने को मिल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में दिनभर में तीन से चार घंटे की घोषित व अघोषित कटौती कर बिजली की मांग को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं, ऊर्जा निगम कमी के सापेक्ष आधी बिजली ही खरीद पा रहा है। ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों में कटौती करना मजबूरी बन गया है। हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर के ग्रामीण क्षेत्रों में कटौती की जा रही है। पिछले दो सप्ताह में प्रदेश में बिजली की खपत में भारी इजाफा हुआ है। प्रतिदिन सामान्य से एक से दो मिलियन यूनिट बिजली की कमी हो रही है। ऐसे में बाजार से बिजली खरीद और कटौती दोनों ही विकल्प को अपनाया जा रहा है। राष्ट्रीय बाजार में इन दिनों बिजली का मूल्य 10 से 15 रुपये प्रति यूनिट है।ऊर्जा निगम ने गुरुवार को 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद तो की, लेकिन पर्याप्त बिजली नहीं मिल सकी। ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता परिचालन गौरव शर्मा ने बताया कि कुछ दिनों से उपलब्धता में सुधार है, लेकिन मांग अधिक होने के कारण आपूर्ति प्रभावित हो रही है। जिसके चलते कहीं-कहीं कटौती की जा रही है। राष्ट्रीय बाजार से बिजली की अधिक खरीद करने का प्रयास किया जा रहा है।
अप्रैल के पहले सप्ताह में भी नहीं बरसे मेघ, जंगल में फैली आग, वन विभाग के फूले हाथ-पांव
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