रामनगर (नैनीताल)। डेढ़ महीने से सुंदरखाल से लेकर मोहान तक बाघ का आतंक है। बाघ के खतरे को देखते हुए बाइक सवार युवकों को कानबाई से भेजा जा रहा है। राहगीर वन कर्मियों के दिशा निर्देश का पालन कर रहे हैं, लेकिन नशेड़ी किसी भी कायदे कानून को नहीं मान रहे हैं। हालात ऐसे है कि रात आठ से दस बजे के बीच नशेड़ी सड़क किनारे और झाड़ियों में गिरे पड़े मिल रहे हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए वन कर्मी नशेड़ियों को उनके घर तक छोड़ रही है।
16 जुलाई को रात को अल्मोड़ा से लौटते समय अमरोहा निवासी दो बाइक सवारों पर मोहान में बाघ ने झपट्टा मारा था। इनमें से एक युवक को बाघ जबड़े में दबाकर ले गया। बाद में युवक के केवल दो हाथ ही वन कर्मियों को मिले। बाघ के आतंक को देखते हुए रामनगर वन प्रभाग, कॉर्बेट की सर्पदुली रेंज, कालागढ़ टाइगर रिजर्व की मंदाल रेंज और अल्मोड़ा वन प्रभाग की मोहान रेंज के वन कर्मी लगातार क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं। सुबह और रात के समय बाइक सवार राहगीरों को कानबाई के रूप में मोहान से सुंदरखाल और सुंदरखाल से मोहान से तक छोड़ रहे है। हादसे को डेढ़ महीना हो चुका है और राहगीर वन कर्मियों के दिशा निर्देशों को मानकर इधर-उधर आ जा रहे हैं। वन कर्मियों के सामने से सबसे बड़ी समस्या नशेड़ियों की है।
रात आठ से दस बजे तक मिल रहे नशेड़ी
नशेड़ी युवक रात आठ बजे से दस बजे तक सुंदरखाल से लेकर धनगढ़ी तक सड़क किनारे नशे की हालत में मिल रहे हैं। कई नशेड़ी तो सड़क किनारे बड़ी-बड़ी झाड़ियों के अंदर मिल रहे हैं। वन कर्मी मनीष कुमार, धर्मपाल, सुदेश, हरपाल, महेश चंद्रा नशेड़ियों को उठाकर नाम पता पूछकर उनके घर छोड़ रहे हैं। अधिकतर नशेड़ी सुंदरखाल गांव के ही मिल रहे हैं। वन कर्मी नशेड़ियों को नहीं उठाते हैं तो बाघ उनको अपना शिकार बना लेगा और बाद में ग्रामीण ही सड़क पर आंदोलन करते हुए नजर आएंगे। कॉर्बेट पार्क निदेशक ने सीओ रामनगर बलजीत सिंह भाकुनी से शाम सात बजे से गांव के आसपास की दुकानों को बंद कराने को कहा है ताकि नशेड़ी समय से अपने घर पहुंच जाए।
कोट
सुंदरखाल से लेकर धनगढ़ी तक वन कर्मियों को कई लोग नशे की हालत में सड़क किनारे और झाड़ियों में पड़े मिल रहे हैं। इस क्षेत्र में लगातार बाघ का मूवमेंट दिख रहा है। ऐसे में अनहोनी होने का खतरा है। रामनगर के पुलिस क्षेत्राधिकारी को उस क्षेत्र की दुकानें शाम सात बजे तक बंद कराने को कहा है ताकि नशेड़ी समय पर अपने घर पहुंच जाएं। – डॉ. धीरज पांडेय, निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व
राहगीर तो माने पर नहीं मान रहे नशेड़ी
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