हल्द्वानी। अस्सी के दशक में जगदंबा नगर में पेयजल भंडारण के लिए बनाया गया ओवरहेड टैंक अब जीर्णशीर्ण हालत में है। मियाद पूरी कर चुके इस टैंक का प्लास्टर उखड़ रहा है और सरिया भी दिखने लगी है। अधिक तीव्रता का भूकंप आने या अन्य कोई हादसा होने पर इस टैंक की वजह से बड़ा नुकसान हो सकता है। इससे आसपास रहने वाले लोगों की जान पर खतरा बना हुआ है। मगर सब कुछ आंखों के सामने होने के बावजूद जल संस्थान बेपरवाह बना हुआ है। शीशमहल पेयजल योजना बनने के बाद हल्द्वानी मे पानी की आपूर्ति के लिए 1980 में जगदंबा नगर चौराहे और जल संस्थान कार्यालय में ओवरहेड टैंक बनाए गए थे। करीब 42 साल पुराने ये दोनों टैंक अपनी समयसीमा पूरी कर चुके हैं। सरकारी मानकों के अनुसार ओवरहेड टैंक की मियाद 30 साल होती है। ऐसे में पुराने ओवरहेड टैंक खतरे का सबब बने हुए हैं। जल संस्थान कार्यालय में बने ओवरहैड टैंक को अब निष्प्रयोज्य कर दिया गया है, मगर जगदंबा नगर के टैंक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी क्षमता 600 किलो लीटर है। इस टैंक के पास घनी आबादी है। सुबह से शाम तक चौराहे पर लोगों की आवाजाही लगी रहती है।
हल्द्वानी शहर की आबादी बढ़ने के साथ नगर निगम क्षेत्र में नये ओवरहेड टैंक तो बनाए जा रहे हैं मगर पुराने टैंकों को लेकर सरकारी अमला बेपरवाह बना हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि खतरे की कगार पर पहुंच चुके ओवरहेड टैंक का ध्वस्तीकरण किया जाए और पानी के इंतजाम के लिए नए टैंक बनाए जाएं। जर्जर हालत में पहुंच चुके पुराने ओवरहेड टैंक से पेयजल आपूर्ति की जा रही है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। पुराने टैंक मियाद पूरी कर चुके हैं तो विभाग को तत्काल संज्ञान में लेते हुए उचित कार्यवाही करनी चाहिए। इलाके में पानी की समुचित व्यवस्था के लिए नया ओवरहेड टैंक बनाया जाए। – रवि वाल्मिकी, पार्षद, वार्ड आठ।
जल संस्थान कार्यालय में बने ओवरहेड टैंक का जलापूर्ति के लिए प्रयोग नहीं किया जाता। जगदंबा नगर में बने ओवरहेड टैंक को बीपीटी (बैक प्रेशर टैंक) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पानी स्टोरेज नहीं किया जाता। फिलहाल इससे कोई खतरा नहीं है। जब टैंक खतरे की स्थिति में होंगे तो उनके ध्वस्तीकरण के लिए कार्यवाही की जाएगी। – एसके श्रीवास्तव, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान।
मियाद पूरी कर चुके जर्जर टैंक बने खतरा, जल संस्थान बेपरवाह
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