काशीपुर। निम्न आय वर्ग के परिवारों को आवास उपलब्ध कराने की योजना उत्तराखंड में दम तोड़ती नजर आ रही है। इस योजना के तहत पहले चरण में नौ योजनाएं स्वीकृत की गईं थी। इनमें से कुमाऊं में सिर्फ दो और हरिद्वार में एक योजना पर ही काम शुरू हो सका है। कुमाऊं में छह योजनाएं विवादों में फंस गईं हैं। दूसरे चरण में प्रस्तावित की गईं 14 में से किसी भी योजना पर काम शुरू नहीं हो सका है।
चार साल पहले केंद्र सरकार ने पीएम आवास योजना (ईडब्ल्यूएस) योजना लागू की थी। उत्तराखंड में इस योजना के संचालन का जिम्मा आवास विकास परिषद को सौंपा गया है। योजना का उद्देश्य बढ़ती आवासीय जरूरतों को पूरा करना है। पहले चरण में स्वीकृत नौ योजनाओं में निजी निवेशकों की ओर से कुल 9244 आवास बनाए जाने थे। सभी नौ योजनाओं में फिजीबिलिटी रिपोर्ट के आधार पर धारा 82 की कार्रवाई तक कर दी गई। धारा 82 का तात्पर्य है कि प्रोजेक्ट के लिए प्रस्तावित भूमि निर्विवाद है। दिसंबर 2021 में हल्द्वानी आगमन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन योजनाओं का शिलान्यास किया था।
पहला चरण: योजना पर अड़ंगा
काशीपुर। अलग-अलग विवादों के चलते हल्द्वानी की पदमपुर, हरसिंहपुर, काशीपुर की मानपुर, रुद्रपुर की बिगवाड़ा, किच्छा और बनवसा की योजनाएं विवादों में फंस गईं हैं। किच्छा में रेलवे और बनवसा में एनएच के साथ विवाद के कारण योजनाओं को निरस्त करना पड़ा। चार योजनाएं रास्ते अथवा किसानों की आपत्ति के कारण ठंडे बस्ते में डालनी पड़ीं। ऊधमसिंह नगर में सिर्फ काशीपुर की कनकपुर और सितारगंज की उकरौली की योजनाओं में ही आवासों का निर्माण कार्य गतिमान है। हरिद्वार के मंगलौर की योजना पर लिखत-पढ़त चल रही है।
दूसरा चरण: 30 जून तक होना है अनुबंध
काशीपुर। दूसरे चरण में आवास विकास परिषद ने काशीपुर के महुआखेड़ागंज, गंगापुर गुसांई, गदरपुर में श्यामनगर, भवानीपुर (जसपुर) रुद्रपुर के शिमला पिस्तौर में फेज वन और टू, रुद्रपुर में मटकोटा, सितारगंज में उकरौली के अलावा रामनगर (नैनीताल) और हरिद्वार जिले में ज्वालापुर, बेलड़ी, अनेकीहेतमपुर, धनपुरा व शिकारपुर में आवासीय योजनाएं प्रस्तावित हैं। 30 जून, 2022 तक इन योजनाओं को लेकर निवेशकों के साथ अनुबंध किया जाना है। बताया जा रहा है कि अगर इस अवधि में योजनाओं को स्वीकृति नहीं मिलती है तो इन्हें स्वत: ही निरस्त माना जाएगा।
उत्तराखंड में शुरू हो सका सिर्फ 2324 आवासों का काम
काशीपुर। उत्तराखंड में आवास-विकास परिषद को 40 हजार आवास बनाने का लक्ष्य दिया गया था लेकिन परिषद निजी निवेशकों की तरफ से बनाए जाने वाले कुल 2324 आवासों का निर्माण कार्य ही शुरू करा सका है। इस प्रोजेक्ट में जमीन से लेकर पैसा तक निजी निवेशकों का ही लगना है। परिषद को सिर्फ मध्यस्थ की भूमिका निभानी है। योजना के तहत बिल्डर को लोगों को छह लाख की राशि में 30 वर्गमीटर तक के फ्लैट बनाकर देने हैं।
कृषि भूमि में निर्माण पर हाईकोर्ट की रोक के कारण योजना के क्रियान्वयन में देरी हुई है। शासन ने नीति में बदलाव कर ईडब्ल्यूएस योजना के लिए भू उपयोग परिवर्तन की बाध्यता खत्म कर दी है। निर्माण शुरू कराने के लिए परिषद ने अंतिम नोटिस जारी कर दिए हैं। इसी महीने कई योजनाओं पर काम शुरू हो जाएगा। –आनंद राम, अधिशाषी अभियंता, आवास विकास परिषद।
उत्तराखंड में निकला पीएम आवास योजना का दम
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