उत्तराखंड के शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं ने 1374 करोड़ के खर्च का हिसाब नहीं दिया है। राज्य के विभिन्न शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं को यह धनराशि पिछले चार साल में केंद्रीय वित्त आयोग और राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत जारी की गई थी। महालेखाकार के बार-बार निर्देश के बाद अपर मुख्य सचिव (वित्त) ने दोनों विभागों के सचिवों को खर्च की गई धनराशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने के निर्देश दिए हैं।
इस संबंध में सचिव शहरी विकास विभाग और सचिव पंचायती राज विभाग को बाकायदा एक पत्र भी जारी हुआ है। उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) में हो रही लेटलतीफी को महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) ने बहुत गंभीरता से लिया है। कैग की ओर से शासन को बाकायदा लंबित यूसी का वर्षवार ब्योरा भेजा गया है और इस पर चिंता भी जाहिर की गई है। इस संबंध में मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू और अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन भी अलग-अलग बैठकों में संबंधित विभागों के सचिवों को ताकीद कर चुके हैं। इस संबंध में पूर्व में भी दिशा-निर्देश जारी हो चुके हैं। लेकिन शहरी निकायों और पंचायती राज संस्थाओं पर इसका कोई असर होता नहीं दिखा है। अपर मुख्य सचिव ने अपने पत्र में चिंता जाहिर की है कि पूर्ण उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध न कराए जाने से वित्त विभाग की छवि खराब होती है।
1022 करोड़ के यूसी देने हैं पंचायती राज विभाग को
करीब 1374 करोड़ रुपये के लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्रों में से 1021.73 करोड़ रुपये के यूसी पंचायती राज विभाग के स्तर के हैं, जबकि 352.24 करोड़ रुपये के यूसी शहरी विकास विभाग से संबंधित हैं।
अंतिम तिथि आज, नहीं भेजे यूसी
हीलाहवाली का यह आलम है कि पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों ने अभी तक वित्त विभाग को पूर्ण उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजे हैं। जबकि अपर मुख्य सचिव ने 15 नवंबर यानी मंगलवार तक यूसी मांगे हैं।
शासन दिखा सकता है कड़ा रुख
महालेखाकार का लंबित यूसी को लेकर शासन पर लगातार दबाव बना है। ऐसे में यदि दोनों विभागों से मांगे गए उपयोगिता प्रमाण पत्र तय तिथि तक नहीं पहुंचे तो इस मामले में शासन स्तर पर कड़ा रुख अपनाया जा सकता है।
इसलिए जरूरी है उपयोगिता प्रमाणपत्र
राज्य वित्त आयोग और केंद्रीय वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत जारी होने वाली धनराशि में उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने का प्रावधान है। वित्त विभाग को जारी धनराशि के ये उपयोगिता प्रमाणपत्र केंद्र सरकार को भेजने होते हैं। इनके आधार पर ही राज्य व केंद्र सरकार धनराशि की अगली किस्त जारी करती है। सीएजी राज्य सरकार के आय-व्यय के हिसाब-किताब का रिकार्ड रखता है। इसी आधार पर उसने शासन से यूसी का हिसाब मांगा है। मैं काफी दिनों से अवकाश पर था। आज ही लौटा हूं। मुझे पत्र की जानकारी नहीं है। मंगलवार को इस बारे में कुछ बता पाऊंगा। – नितेश झा, सचिव, पंचायती राज
उत्तराखंड में पंचायत-निकायों ने खर्च किए 1374 करोड़, चार साल से नहीं दिया हिसाब
RELATED ARTICLES