नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशानुसार गंगा और उसकी सहायक नदी के सौ मीटर परिधि के अंदर किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक है। बावजूद इसके हेंवल घाटी क्षेत्र में रत्तापानी, घट्टूगाड़, बैरागढ़, मोहनचट्टी, बिजनी, नैल आदि जगहों पर धड़ल्ले से हेंवल नदी के तट पर कैंप संचालित हो रहे हैं।
अगस्त 2014 दैवी आपदा के दौरान भी बैरागढ़, मोहन चट्टी और घट्टूूगाड़ क्षेत्र में हेंवल नदी तट पर संचालित कैंपों का नुकसान हुआ था। हेंवल नदी के रौद्र रूप धारण करने पर कई कैंप नदी के तेज बहाव में बह गए थे। शासन-प्रशासन की ओर से यहां रेस्क्यू अभियान चलाया गया था। लेकिन जैसे-जैसे यहां आपदा के जख्म भर रहे थे। वैसे ही बाहरी लोगों ने इन क्षेत्रों में दोबारा कैंपों का संचालन शुरू कर दिया। बीते 19 अगस्त को हुई अतिवृष्टि से बैरागढ़, घट्टूगाड़, मोहनचट्टी क्षेत्र में कई कैंप हेंवल नदी के तेज बहाव में बह गए। पर्यटकों के कई दोपहिया और चौपहिया वाहन नदी के तेज बहाव में बह गए। कैंपों में फंसे पर्यटकों को एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया है। हेंवल घाटी क्षेत्र में संचालित कैंपों पर पौड़ी प्रशासन की ओर से अभी तक रोक नहीं लग पाया है। इसका खामियाजा हर बरसात में पर्यटकों और स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ता है। हेंवलघाटी क्षेत्र में संचालित कैंपों का सत्यापन किया जाएगा। अभियान के दौरान अवैध संचालित रूप से संचालित कैंपों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। – प्रमोद कुमार, उपजिलाधिकारी यमकेश्वर
हादसों से सबक नहीं ले रहा पौड़ी प्रशासन
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