मानसिक स्वास्थ्य नीति में नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन के लिए सख्त नियम बनाए जा रहे हैं, जिसमें नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान किया जा रहा है। नियमों का पालन न करने पर पांच हजार से पांच लाख तक जुर्माना और छह माह तक की सजा हो सकती है। उत्तराखंड सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य नीति की नियमावली का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया है। केंद्र की अनुमति के बाद जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव को रखा जाएगा। मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी और नियमों का पालन करने के लिए राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। इस नीति के लागू होने से प्रदेश में मनमाने ढंग से चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों में यातनाएं, दुर्व्यवहार करने की घटनाओं पर अंकुश लगेगा।
नशा मुक्ति केंद्रों को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण करना अनिवार्य होगा। इसके बाद प्राधिकरण की ओर से केंद्र संचालन के लिए एक साल का लाइसेंस जारी किया गया। इसके लिए दो हजार रुपये पंजीकरण शुल्क भी नियमावली में निर्धारित किया जा रहा है। इसके अलावा बिना पंजीकरण और लाइसेंस के लिए नशा मुक्ति केंद्र संचालित करने पर कम से कम पांच हजार रुपये जुर्माना लगेगा। नियमों का उल्लंघन करने पर पहली बार में जुर्माना राशि को 50 हजार रुपये और दूसरी बार उल्लंघन करने पर दो लाख रुपये जुर्माना राशि होगी। इसके बाद उल्लंघन करने पर जुर्माना राशि पांच लाख रुपये से कम नहीं होगी। नियमों का उल्लंघन करने पर कम से कम छह माह की सजा हो सकती है।
प्रस्तावित नियमावली में इन नियमों का करना होगा पालन
मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बना कर नहीं रख सकते।
डॉक्टर के परामर्श पर नशा मुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज होगा।
केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा।
मरीजों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक, डॉक्टर को रखना होगा।
केंद्र में मानसिक रोगियों के लिए खुली जगह होनी चाहिए।
जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी।
मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा।
नशा मुक्ति केंद्रों में नियमों का उल्लंघन करने पर होगा जुर्माना और सजा, कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव
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