ट्रांजिट कैंप में जहरीली गैस फैलाने वाले सिलिंडर के स्त्रोत का पुलिस अब तक पर्दा नहीं उठा सकी है। अब पुलिस सिलिंडर की बारीकी से जांच कर उसमें बने मार्क और चिह्न से उसके स्त्रोत तक पहुंचेगी। पुलिस को अब तक जहरीली गैस के बारे में कोई जानकारी हाथ नहीं लगी है। पांच माह पहले ट्रांजिट कैंप में जहरीली गैस के रिसाव से प्रशासनिक अधिकारी समेत 47 लोग बेहोश हुए थे। 30 अगस्त 2022 को ट्रांजिट कैंप के आजाद नगर में एक कबाड़ की दुकान में पड़े क्लोरीन सिलिंडर की गैस लीक होने से स्थानीय लोगों का दम घुटने लगा था। वहां रहने वाले लोग इलाका छोड़कर दूर चले गए थे। इसके अलावा इलाके के कुछ चूहों और मुर्गों ने दम तोड़ दिया था। सूचना पर पुलिस ने पहुंचकर सिलिंडर को जमीन में दबा दिया था। इसके बाद पुलिस ने कबाड़ गोदाम स्वामी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।उसने बताया था कि वह आजाद नगर पानी की टंकी से कबाड़ में सिलिंडर खरीद कर लाया था। पुलिस ने बाद में सिलिंडर बेचने वाले पेयजल निगम के दो संविदा कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया था लेकिन पुलिस अब तक अंजान है कि सिलिंडर पानी की टंकी में कहां से कैसे पहुंचा और उसमें कौन सी गैस थी।
सिलिंडर की जांच करने का आदेश
इस मामले में पेयजल निगम और जल संस्थान के अधिकारी भी कुछ नहीं बता सके थे। पुलिस को आशंका थी कि मरे चूहे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से गैस के राज खुलेंगे लेकिन हाल ही आई रिपोर्ट से भी इसका खुलासा नहीं हो सका है। एसपी सिटी मनोज कत्याल ने बताया कि सिलिंडर थाने में रखा है और उसे साफ कर बारीकी से उसकी जांच की जाएगी। सिलिंडर में अगर कोई चिह्न मिलता है तो उसके आधार पर उसके स्त्रोत तक पहुंचा जाएगा। उन्होंने मामले के विवेचक को भी सिलिंडर की जांच करने का आदेश दिया है।
चूहे की मौत के साथ ही दफन हो गया राज, नहीं सुलझा पाई पुलिस अभी तक 47 लोगों के बेहोश होने की कहानी
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