Sunday, September 14, 2025
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सुंदर सी सोरघाटी पर अतिक्रमण का दाग

पिथौरागढ़। सोर घाटी अतिक्रमण की चपेट में है। यहां के पैदल रास्ते ही नहीं बल्कि शहर के बीच से होकर गुजरने वाले नेशनल हाइवे से लेकर आंतरिक सड़कों में भी अतिक्रमण हो चुका है। यहां तक कि शहर में बहने वाले गंदे नालों के आसपास की सरकारी भूमि पर भी कब्जा हो रहा है। सुंदर सी सोरघाटी में अतिक्रमण के कारण पिथौरागढ़ असुविधाओं का नगर बनकर रह गया है। हालात यह हैं कि राहगीरों के लिए न तो पैदल चलने के लिए सुरक्षित फुटपाथ हैं और न ही वाहनों को पार्क करने के लिए स्थान बचा है। नगर की आबादी एक लाख से अधिक है। एंचोली से लेकर सातसिलिंग और सुकौली से लेकर वड्डा तक शहर का विस्तार हो चुका है। सोर घाटी की जिस जमीन में कभी तराई की तरह अनाज का उत्पादन होता था उस स्थान पर कंक्रीट का जंगल बन चुका है। 1990 के दशक तक शहर की आंतरिक सड़कों के किनारे विभिन्न स्थानों पर पर्याप्त सरकारी जमीन थी। प्रशासन के ध्यान न देने से कई लोगों ने इस जमीन पर कब्जा दिखा दिया। इसके बाद फ्री होल्ड कराकर बेशकीमती जमीन पर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी कर दीं गईं। इसका खामियाजा अब लोगों को असुविधा के रूप में भुगतना पड़ रहा है। अतिक्रमण के कारण पार्किंग की सुविधा नहीं है। यहां तक कि अधिकतर निजी अस्पताल और बरात घरों के पास अपने पार्किंग स्थल तक नहीं हैं। वाहनों को सड़कों पर ही पार्क करना पड़ता है। ऐसे में जाम की समस्या बनी रहती है। स्थिति यह है कि नगर की सड़कें अब पार्किंग स्थल बनकर रह गई हैं।
90 फीसदी आबादी के लिए नहीं सड़क सुविधा
पिथौरागढ़। नगर पालिका में कुल 20 वार्ड हैं। इन वार्डों में रहने वाली 90 फीसदी जनता के पास सड़क सुविधा नहीं है। 40 फीसदी क्षेत्रों में ही दोपहिया वाहन घरों तक पहुंच पाते हैं। कुछ वार्डों में पैदल चलने के लिए उचित रास्ते तक नहीं हैं। अतिक्रमण के कारण कुछ स्थानों पर पैदल रास्ते दो फुट चौड़े भी नहीं हैं। हालात यह हैं कि किसी की मौत होने पर शव को संकरी गलियों से मुख्य सड़क तक शव ले जाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
मलबा डालकर भी होते हैं अतिक्रमण के प्रयास
पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ शहर में पिछले एक दशक के भीतर कई जगहों पर सरकारी भूमि पर कब्जा किया गया। भूमाफिया और अतिक्रमणकारी आज भी बची खुची सरकारी भूमि पर कब्जे के प्रयास में है। इसके लिए रेता या मलबा डालकर छोड़ दिया जाता है बाद में कब्जा बताकर उस भूमि को अपने नाम करने की कोशिश शुरू हो जाती है। इसी तरह के प्रयास कई स्थानों पर किए जा रहे हैं लेकिन न नगरपालिका को और न ही जिला प्रशासन को इसकी चिंता है। शहर के अधिकतर नालों के किनारे मकान बन चुके हैं। धोबीघाट-चंद्रभागा नाले और रई गाड़ में कुछ स्थानों पर सरकारी जमीन बची है लेकिन इस पर भी अतिक्रमणकारियों की नजर है। आरटीआई कार्यकर्ता सुबोध बिष्ट का कहना है कि अतिक्रमणकारी खाली पड़ी जमीन पर मलबा या भवन निर्माण सामग्री डालकर कुछ समय के लिए जगह घेरते हैं फिर उस पर कब्जा किया जा रहा है। शहर के जिन स्थानों पर खुले नाले हैं उन्हें पाटकर सड़कें बनाई जाएंगी। वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए शहर के हर हिस्से में पार्किंग स्थलों का निर्माण कराया जा रहा है। -राजेंद्र सिंह रावत, अध्यक्ष, नगर पालिका, पिथौरागढ़।
नया अतिक्रमण रोकने और पुराना अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। यदि निर्माण सामग्री सड़क पर लंबे समय तक फैलाई जाएगी तो उसे जब्त किया जाएगा। – दीपक गोस्वामी ईओ, नगर पालिका पिथौरागढ़।

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