टिहरी जिले के ग्वाड़ गांव पट्टी सकलाना के दंपति की मौत से दो मासूम भाई-बहन के सिर से माता-पिता का साया भी उठ गया। गांव में खेतीबाड़ी करने वाले इस दंपति ने अपने दोनों बच्चों को अच्छी पढ़ाई के लिए देहरादून भेजा हुआ था। रक्षाबंधन पर उनकी मां कहकर गई थीं कि मेहनत से पढ़ाई-लिखाई करना और बड़ा आदमी बनना।
प्राकृतिक आपदा से आए मलबे में ग्वाड़ गांव में कई लोगों के मकान दब गए थे। जिसमें दबकर राजेंद्र सिंह राणा और उनकी पत्नी सुनीता राणा की भी मौत हो गई थी। शनिवार को दोनों के शव को बचाव दल ने मलबे से निकाला था। रविवार दोपहर दोनों के शवों को ग्रामीण पांच किलोमीटर पैदल चलकर मालदेवता तक लाए। उसके बाद शव अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार ले जाए गए। रविवार को राणा दंपति के बेटे सिद्धार्थ राणा (14 वर्ष) को लेकर उनके रिश्तेदार भी मालदेवता पहुंचे। सिद्धार्थ माता-पिता के शव को देखकर गुमसुम था। किसी तरह बताया कि मम्मी-पापा ने पढ़ाई के लिए उसे और बहन वंशिका राणा (12 वर्ष) को देहरादून में रांझावाला (रायपुर) भेजा हुआ था
रक्षाबंधन पर भी मम्मी उनके पास देहरादून आई थी। मम्मी ने कहा था कि गांव आने-जाने का रास्ता खराब है इसलिए वह खुद ही रक्षाबंधन पर देहरादून आईं। वह अच्छे से रहने और मेहनत से पढ़ाई करने की बात कहकर गई थीं। सिद्धार्थ और उसकी बहन रांझावाला में अपने मामा अनिल पंवार के पास रहते हैं। नाना त्रिलोक सिंह पंवार ने बताया कि गांव मेें अच्छे स्कूल नहीं हैं, इसलिए दोनों बच्चों को पिछले चार साल से देहरादून भेजा हुआ था। शनिवार से दोनों बच्चे गुमसुम हैं और उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि अब माता-पिता जीवित नहीं हैं।
माता-पिता के शव देख गुमसुम हो गया मासूम, बताया-मम्मी कह गई थीं, मेहनत से पढ़ाई कर बड़ा आदमी बनना
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