Thursday, November 28, 2024
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डकैती कांड में बरी हुए सात बांग्लादेशी, वीजा उल्लंघन में मिली हुई थी पांच-पांच साल की सजा

डकैती के दो मामलों में न्यायालय ने सात बांग्लादेशियों समेत आठ लोगों को बरी कर दिया। जबकि, सातों बांग्लादेशियों को अवैध रूप से भारत में रहने (वीजा उल्लंघन) का दोषी मानते हुए पांच-पांच साल की सजा सुनाई। तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश चंद्रमणि राय की कोर्ट ने दोषियों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। घटना के बाद से सभी दोषी जेल में हैं। बचाव पक्ष के अधिवक्ता आशुतोष गुलाटी ने बताया कि 26 अप्रैल 2017 को साकेत कॉलोनी निवासी सुमित टंडन के घर पर डकैती हुई थी। सशस्त्र बदमाशों ने महिलाओं के जेवर और नकदी लूट ली थी। डालनवाला पुलिस ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। करीब डेढ़ माह से भी ज्यादा समय बीतने के बाद भी पुलिस घटना का खुलासा नहीं कर पाई। इसके बाद 17 जून 2017 को डोईवाला में तक्ष ढौंढियाल के घर पर बदमाशों ने डकैती डाली। यहां से भी जेवर और नकदी लूटी थी।डोईवाला पुलिस ने कुछ दिन बाद अपने क्षेत्र में हुई डकैती का खुलासा करते हुए आठ बदमाशों को गिरफ्तार करने का दावा किया।
विदेशी अधिनियम के तहत केस दर्ज
गाजियाबाद से गिरफ्तार इन बदमाशों में नजरूल, मोनू उर्फ घोलू, दुलाल, आलमगीर, दुलाल, बादल और शौकीर बांग्लादेशी मूल के थे। जबकि, चांद कुरैशी भारतीय निवासी था। इनके पास से डालनवाला क्षेत्र में हुई डकैती में लूटे गए जेवर भी बरामद करने का पुलिस ने दावा किया। सात बदमाशों के खिलाफ वीजा उल्लंघन करने पर विदेशी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था। दोनों मुकदमों में विवेचना पूरी कर करीब दो माह बाद चार्जशीट दाखिल की गई। पुलिस ने 20 से ज्यादा गवाह प्रस्तुत किए। जबकि, बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने भी आरोपियों के पक्ष में गवाह पेश किए। दोनों ओर की जिरह सुनने के बाद शनिवार को अदालत ने अपना फैसला सुना दिया। डकैती के आरोप से सभी आठ आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया। जबकि, सात बांग्लादेशियों को अवैध रूप से भारत में रहने के दोष में सजा सुनाई गई।
ऐसे मिला संदेह का लाभ
ट्रायल के दौरान पुलिस की ओर से जिन लोगा ने गवाही दी, उनके बयानों में विरोधाभास पाया गया। पीड़ितों ने कहा कि बदमाशों ने मुंह पर कपड़ा बांधा था। लेकिन, अदालत में उन्हें पहचानने का दावा किया। इस पर यह संदेह हुआ कि जब उनके मुंह पर कपड़ा बंधा था तो पहचान कैसे हो सकती है। इसी तरह पुलिस ने एक बदमाश का स्केच बनाया था। लेकिन, पुलिस इस मामले में यह सिद्ध नहीं कर पाई कि स्केच इन बदमाशों में से किसका था।

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