Thursday, October 31, 2024
Homeउत्तराखण्डकुमाऊं मंडल में सात माध्यमिक विद्यालय बंद करने के आदेश

कुमाऊं मंडल में सात माध्यमिक विद्यालय बंद करने के आदेश

कुमाऊं के सरकारी स्कूलों में तेजी से घट रही छात्र संख्या के चलते मंडल के सात माध्यमिक विद्यालयों को शासन स्तर से बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। शिक्षा विभाग के मंडलीय कार्यालय की ओर से नए सत्र में बंदी की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। जबकि मंडल के 6 जिलों में 48 सरकारी एवं 5 शिक्षा विभाग के अंतर्गत अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों पर बंदी की तलवार लटकी हुई है।
मंडल के सरकारी विद्यालयों की स्थिति लगातार बदतर हो रही है। छात्र संख्या में तेजी से हो रही गिरावट के चलते कुमाऊं के 7 विद्यालय बंद करने का निर्णय लिया गया है। शासन स्तर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। मंडलीय कार्यालय की ओर से शून्य छात्र संख्या वाले इन स्कूलों के संचालन को नए सत्र में बंद कर दिया जाएगा। इन विद्यालयों में कार्यरत करीब 60 शिक्षक-कर्मचारियों को अन्यत्र शिफ्ट करने की कवायद की जाएगी। इसके अलावा कुमाऊं में 48 विद्यालय ऐसे हैं, जिनकी छात्र संख्या 30 से कम पहुंच गई है। माना जा रहा है कि यह विद्यालय भी जल्द बंद होने के कगार पर पहुंच जाएंगे। जबकि वर्तमान में 150 विद्यालयों की छात्र संख्या 50 से कम है। 100 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की संख्या 200 पहुंच गई है। ऐसे में सरकार तथा शिक्षा महकमे को छात्र संख्या बढ़ाए जाने को लेकर विशेष पहल करनी होगी। स्वाभाविक है कि निजी स्कूलों के इस दौर में सरकारी विद्यालयों में खास तौर पर पढ़ाई के स्तर में सुधार करना होगा।
ये माध्यमिक विद्यालय होंगे बंद
राउमावि मोटाहल्दू नैनीताल।
राउमावि खोला अल्मोड़ा।
राउमावि चायखान अल्मोड़ा।
राउमावि बेड़ा पिथौरागढ़।
राउमावि पंथयूड़ी पिथौरागढ़।
राउमावि सतगढ़ पिथौरागढ़।
राकउमावि मानिला अल्मोड़ा।
कोट..
शासन स्तर से न्यूनतम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। लगातार गिर रही छात्र संख्या के चलते नए सत्र में कुमाऊं मंडल के संबंधित विद्यालय बंद कर दिए जाएंगे। –लीलाधर व्यास, एडी कुमाऊं
निजी स्कूलों को धड़ल्ले से मान्यता देना भी कारण
राजकीय विद्यालयों में छात्र संख्या में गिरावट का मुख्य कारण निजी विद्यालयों को धड़ल्ले से मान्यता देना बताया जा रहा है। सरकारी विद्यालय घट रही छात्र संख्या के चलते बंद किए जा रहे हैं, तो वहीं लगातार निजी विद्यालयों को मान्यता दी जा रही है। इसके अलावा पठन-पाठन के स्तर में भी सुधार करने की जरूरत है। सरकारी स्कूलों में वेल क्वालीफाइड शिक्षक होने के बावजूद निजी स्कूलों का रिजल्ट बेहतर रहता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments