सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में बड़ी संख्या में केसों के लंबित रहने की एक खास वजह सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में बड़ी संख्या में जजों के पद रिक्त होना भी है। जस्टिस यूयू ललित के सीजेेआई के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों के सात पद रिक्त चल रहे हैं। उच्च न्यायालयों में जजों के कुल 1108 पदों में से 30 प्रतिशत अर्थात 335 पद रिक्त हैं। काशीपुर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने न्याय विभाग से सुुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत, कार्यरत व रिक्त पदों के बारे में सूचना मांगी थी। आरटीआई के जवाब में न्याय विभाग के लोक सूचना अधिकारी ने वांछित सूचना की वेबसाइट पर उपलब्धता का लिंक दिया। इस लिंक पर 01 नवंबर 2022 तक की सूचना प्राप्त हुई है। नदीम को उपलब्ध सूूचना के अनुसार 01 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में जजों के कुल 34 पद स्वीकृत हैं। 08 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए जस्टिस यूयू ललित समेत कुल 28 न्यायाधीश कार्यरत थे। इनकी सेवानिवृत्ति के बाद सात पद रिक्त हो गए।
उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और पटना उच्च न्यायालयों में 36 प्रतिशत पद रिक्त
उच्च न्यायालयों में कुल 272 अतिरिक्त जजों के पदों समेत कुल 1108 पद स्वीकृत हैं जिसमें 773 जज कार्यरत हैं। सर्वाधिक 46 प्रतिशत पद राजस्थान और गुजरात उच्च न्यायालयों में रिक्त हैं। मणिपुर व मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में 40 और तीसरे स्थान पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 38 प्रतिशत पद रिक्त हैं। चौथे स्थान पर 36 प्रतिशत रिक्त पद उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और पटना उच्च न्यायालयों में है। देश में 25 उच्च न्यायालयों में केवल दो उच्च न्यायालय सिक्किम और गुवाहाटी ही ऐसे हैं जिसमें न्यायाधीश के कोई पद रिक्त नहीं हैं। गुवाहाटी उच्च न्यायालय में भी स्थायी न्यायाधीश के 2 पद रिक्त हैं। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में कुल 2 अतिरिक्त न्यायाधीशों समेत न्यायाधीशों के 11 पद स्वीकृत है जबकि केवल सात स्थायी न्यायाधीश है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 41 अतिरिक्त न्यायाधीशाें सहित कुल 160 स्वीकृत पद हैैं जबकि 23 अतिरिक्त जजों समेत 100 न्यायाधीश कार्यरत हैं। हिमाचल हाईकोर्ट में चार अतिरिक्त जजों समेत न्यायाधीशों के 17 स्वीकृत पद हैं जबकि यहां 11 स्थायी न्यायाधीश हैं।
उच्च न्यायालयों में 30 और सुप्रीम कोर्ट में 21% जजों के पद रिक्त, जानें उत्तराखंड में क्या है स्थिति
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