Friday, April 18, 2025
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महिलाओं को जल्द न्याय दिलाने में कारगर है फास्ट ट्रैक कोर्ट : रेखा

काशीपुर। भारतीय प्रबंधन संस्थान काशीपुर में सार्वजनिक नीति और प्रशासन उत्कृष्टता केंद्र ने भारत में महिलाओं के लिए न्याय और फास्ट ट्रैक कोर्ट विषय पर दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी में देश भर के विश्वविद्यालयों के दो सौ से अधिक प्रतिनिधियों, छात्रों, शोध विद्वानों, अधिवक्ताओं ने भाग लिया। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने महिलाओं को जागरूक करते हुए कहा महिलाओं को जल्द न्याय दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों को बनाया गया। इससे सुलभ तरीके से महिलाओं को न्याय मिल जाता है। सोमवार को आईआईएम में राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से सेमीनार का आयोजन किया गया। उद्घाटन भाषण अलबामा विश्वविद्यालय (अमेरिका) के प्रो. अखलाक हक ने दिया। उन्होंने अमेरिका में न्याय प्रणाली से उदाहरण प्रस्तुत किए। रेखा शर्मा ने कहा कि भारत में फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों के इतिहास, उनके अधिकार क्षेत्र को सामान्य अदालतों में न्याय की समय सीमा के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। उन्होंने मौजूद लोगों से फास्ट ट्रैक कोर्ट की बेहतरी के लिए सुझाव देने की अपील की।
राष्ट्रीय विधि आयोग के पूर्व सदस्य और आईआईएलएम के चांसलर प्रो. अफजल वानी ने महिलाओं को संविधान की ओर से दी गई समान स्थिति और सामाजिक जागरूकता से महिलाओं के खिलाफ अपराधों को कम करने के बारे में बताया। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ऊधमसिंह नगर शादाब बानो ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा के रूप में कानूनी प्रावधानों और न्याय पालिका की भूमिका पर चर्चा की। एससी गुड़िया कॉलेज ऑफ लॉ काशीपुर और वासुदेव कॉलेज ऑफ लॉ हल्द्वानी के प्रोफेसरों, छात्रों के अलावा अन्य राज्यों के कई आमंत्रित शोधकर्ताओं ने कई शोध पत्र प्रस्तुत किए। ऊधमसिंह नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहम्मद यूसुफ ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में न्यायिक निर्णयों के विकास को प्रस्तुत किया। प्रो. रविंदर सैनी ने महिला सशक्तीकरण के लिए विभिन्न प्रावधानों और योजनाओं को अपनाने के बाद भी भारत में बढ़ते लैंगिक अंतर के बारे में जानकारी दी। संगोष्ठी में कानून, न्याय पालिका व कानूनी पेशे के प्रख्यात विशेषज्ञों ने भाग लिया। विशेषज्ञों में चंद्र शेखर जोशी, डॉ. दीपिका गुड़िया आत्रेय, प्रो. हेमलता सैनी, प्रो. अरशद हुसैन, प्रो. राजेश सिंह, प्रो. शिव नारायण सिद्ध, प्रो. अमदुद्दीन अहमद, प्रो. रवींद्र सैनी, प्रो.एम नासिर प्रमुख रूप से शामिल रहे।

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