Friday, December 13, 2024
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सौनी में अस्तित्व में आया देश का पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन

रानीखेत (अल्मोड़ा)। सौनी में नवनिर्मित देश का पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन अस्तित्व में आ गया है। गार्डन का उद्घाटन करते हुए पद्म श्री शेखर पाठक ने कहा कि स्पाइस गार्डन खुलने से स्थानीय किसानों में मसालों के उत्पादन के प्रति जागरूकता आएगी। वहीं इससे पर्यटन विकास को भी पंख लगेंगे। कहा कि कई मसाला प्रजातियों को वन्य जीव भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। किसानों के लिए मसाला की खेती फायदेमंद साबित होगी। वर्तमान में वन विभाग ने यहां 27 से 30 प्रकार के मसालों का बगीचा स्थापित किया है। मसालों की अन्य प्रजातियों पर भविष्य में अनुसंधान भी किया जाएगा।
वन विभाग (रिसर्च) ने जायका परियोजना की मदद से रानीखेत वन क्षेत्र के सौनी में स्पाइस गार्डन विकसित किया है। पद्मश्री शेखर पाठक ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र के किसानों को मसाला उत्पादन के लिए प्रेरित कर उनकी आय बढ़ाई जा सकती है। यह गार्डन उन्हें मसाला उत्पादन के लिए प्रेरित करता रहेगा। मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि पर्यटन विकास की दृष्टि से यह गार्डन फायदेमंद साबित होगा। उत्तराखंड वन अनुसंधान सलाहकार जोगेंद्र बिष्ट ने स्पाइस गार्डन का महत्व बताया और उद्देश्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्र के समस्त मसालों का संरक्षण करना है। गार्डन में जंगलों में उगने वाली और किसानों के खेतों में पैदा होने वाली विभिन्न प्रजातियों को संरक्षित किया जाएगा। इससे मसाला उत्पादन को बढ़ावा देकर किसानों को लाभ दिया जाएगा। वर्तमान में स्पाइस गार्डन में 27 प्रकार के मसालों की प्रजातियां विकसित की गई हैं। भविष्य में अनुसंधान भी होंगे। इस दौरान वन विभाग के तमाम अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
-मसालों की ये प्रजातियां की गई हैं विकसित-जंबू, काला जीरा, वन अजवाइन, दालचीनी, करी पत्ता, तिमूर, बद्री तुलसी, चक्री फूल, केसर, इलायची, अल्मोड़ापत्ती, लखोरी मिर्च, जंगली हींग, हिमालयन हींग, एलूम, वन हल्दी, तेजपात, डोलू आदि। सौनी में पांच एकड़ भूमि में हिमालयन स्पाइस गार्डन की स्थापना की गई है। फिलहाल 27 से 30 प्रकार के मसालों की प्रजातियां विकसित की गई हैं। देश में अपनी तरह का पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन है। हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली मसालों की प्रजातियों को यहां विकसित किया गया है। 10 से अधिक प्याज की प्रजातियां विकसित की गई हैं। इससे भविष्य में जहां पर्यटन विकास होगा, वहीं मसालों की खेती को लेकर किसान भी जागरूक होंगे। – संजीव चतुर्वेदी, मुख्य वन संरक्षक।

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