रानीखेत (अल्मोड़ा)। सरकार एक ओर निर्धन, बेसहारा लोगों को छत मुहैया कराने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं वहीं रानीखेत छावनी में योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं। 42 सालों से भूमिहीन परिवार जमीन के एक टुकड़े के लिए प्रशासन के आगे गुहार लगा रहे हैं लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई हैं। छावनी में निवास करने वाले गरीब भूमिहीन परिवारों को न तो आज तक आवास उपलब्ध हैं और ना ही भूमि। ऐसे में गरीब और कमजोर तबका सरकार की आवास योजनाओं का लाभ पाने के लिए संघर्षरत है। विभिन्न संगठनों ने इस संबंध में संयुक्त मजिस्ट्रेट जय किशन के माध्यम से डीएम को ज्ञापन भेजा।
1980 में सहायक आयुक्त विभा पुरी ने हरिजन कल्याण समिति के अध्यक्ष को बताया था कि छावनी परिषद के अंतर्गत होने के कारण भूमि उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया था कि राज्य सरकार कि निर्विवाद भूमि को गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट (1980 से 87 तक सरकार भूमिहीनों को कराती थी भूमि उपलब्ध) के तहत भूमि के लिए आवेदन किया जा सकता है। 1980 में फिर से हरिजन कल्याण समिति ने तत्कालीन जिलाधिकारी को पत्र भेजकर मांग की थी कि आवासहीन परिवारों के लिए रानीखेत के पास 82 नाली राज्य सरकार की भूमि है उसे उपलब्ध कराया जाए।
1980 में एसडीएम अजय कुमार ने डीएम को बताया कि 64 परिवार भूमिहीन पाए गए हैं, यह लोग मेहनत मजदूरी कर किसी प्रकार जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के तहत अलग अलग स्थानों पर भूमि उपलब्ध कराई जा सकती है लेकिन 42 वर्षों बाद भी गरीब भूमिहीन परिवार इन योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। 1980 में यहां चिलियानौला में आवास विकास कॉलोनी के लिए भूमि चिह्नित की गई थी लेकिन 42 वर्षों बाद भी आवास विकास कॉलोनी ठंडे बस्ते में कैद है। व्यापार मंडल जिलाध्यक्ष मोहन नेगी, पूर्व छावनी उपाध्यक्ष संजय पंत आदि ने संयुक्त मजिस्ट्रेट जय किशन के माध्यम से डीएम को ज्ञापन भेज भूमिहीनों को भूमि उपलब्ध कराने की मांग उठाई है। उन्होंने रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट से भी अटल आवास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना में भूमिहीनों को भूमि उपलब्ध कराने को कहा है।
चार दशकों से अदद छत के लिए एड़ियां रगड़ रहे छावनी क्षेत्र के भूमिहीन परिवार 20-00-58
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