महिलाएं चिकित्सक घरेलू काम से लेकर बच्चों और बुजुर्गों का ख्याल रखने तक सभी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। ऐसे में संक्रमण और तनावपूर्ण माहौल में सेहत का ख्याल रखना महिला डॉक्टरों के सामने एक चुनौती है। कहा कि जब हम स्वस्थ रहेंगे, तभी परिवार व समाज को स्वस्थ रख पाएंगे। उपरोक्त बातें शनिवार को अमर उजाला फाउंडेशन के अपराजिता अभियान के तहत आयोजित संवाद कार्यक्रम में महिला चिकित्सकों ने कहीं। पटेलनगर स्थित अमर उजाला के सभागार में हुए कार्यक्रम में राजकीय दून मेडिकल कॉलेज कम्युनिटी मेडिसिन की एसोसिएट प्रो. डॉ. अनुपमा आर्या ने कहा कि यह दुखद है कि कुछ क्षेत्रों को छोड़कर प्रोफेशनल और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है।
इसके अलावा आज भी हमारे समाज में महिलाओं के सामने अनेक प्रकार की चुनौतियां हैं। बावजूद इन सबके एक महिला चिकित्सक अपनी पेशेवर जिंदगी और व्यक्तिगत जीवन में बेहतर संतुलन बना अपने घर और समाज की जिम्मेदारियों का बखूबी से निर्वाह करती हैं। कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है। आरोग्यधाम अस्पताल की निदेशक डॉ. प्राची चंद्रा कंडवाल ने कहा कि समय के साथ बदलाव आया है, लेकिन अभी भी महिलाओं के प्रति हमारे समाज की मानसिकता को और बदलने की जरूरत है। समाज के विकास के लिए महिला और पुरुष को हर स्थिति में एक साथ कंघे से कंघा मिलाकर चलना होगा। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज की असिस्टेंट प्रो. और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आयशा ने कहा कि 21वीं सदी की महिलाएं आत्मनिर्भर और काफी सशक्त हो चुकी हैं। कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जिस क्षेत्र में महिलाओं ने अपना डंका न बजाया हो। आज हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चलते हुए नया इतिहास रच रहीं, लेकिन अभी भी महिलाओं को समाज में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
दवा से ज्यादा फायदा फिजियोथेरेपी से फायदा
वेलमेड अस्पताल की फिजियोथिरेपिस्ट डॉ. अनामिका घिल्डियाल ने कहा कि फिजियोथेरेपी यूं तो आधुनिक चिकित्सा पद्धति मानी जाती है, लेकिन भारत में सदियों से चले आ रहे मालिश व कसरत के नुस्खे का ही यह मिला-जुला रूप है। मानसिक तनाव, घुटनों, पीठ या कमर में दर्द जैसे कई रोगों से बचने या निपटने के लिए बिना दवा खाएं या चीरा लगवाएं, फिजियोथेरेपी एक असरदार तरीका है। कहा कि केवल रोगी ही नहीं, बल्कि स्वस्थ लोग भी चुस्त-दुरुस्त रहने को फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह ले सकते हैं।
महिलाओं को मिलता है कम वेतन
महिला चिकित्सकों ने कहा कि आज भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है। इस पर कामकाजी महिला पर दोहरी मार पड़ रही है। महिलाओं को घर भी संभालना है और दफ्तर में भी परफॉर्म करना है। लोअर इनकम ग्रुप की महिलाओं को ये ज्यादा भुगतना पड़ रहा है।