बागेश्वर। सरकारी सिस्टम का हाल भी गजब का है। योजनाएं समय पर पूरी नहीं होतीं। जनता की परेशानी को समझने और सुनने को न जनप्रतिनिधि तैयार रहते हैं न ही अफसर। पिछले बरसात से क्षतिग्रस्त पड़ीं बागेश्वर जिले की सड़कों को भुला दिया गया है। जिले की 32 सड़कें ऐसी हैं जहां जान जोखिम डालकर वाहन दौड़ रहे हैं। लोगों की परेशानी को अनसुना किया जा रहा है।
पिछले बरसात में कपकोट की सड़कों को अधिक नुकसान पहुंचा था। कपकोट में लोक निर्माण विभाग की 10, पीएमजीएसवाई डिविजन की छह सड़कें क्षतिग्रस्त हुई थीं। सबसे अधिक नुकसान कपकोट के काफलीकमेेड़ा जाने वाली सड़क को हुआ था। इस सड़क का करीब 500 मीटर हिस्सा बह गया था। इस हिस्से में सड़क को नए सिरे से बनाया जाना है। कपकोट-कमी सड़क सरन नामक स्थान पर और उससे आगे कई स्थानों पर दरक गई है। सरन में पहाड़ी से हुए भूस्खलन के कारण सड़क पर भारी मात्रा में मलबा आ गिरा था। इससे सड़क की ऊंचाई काफी बढ़ गई।
सरन के पास सड़क की ऊंचाई इतनी अधिक हो गई है कि मालवाहक वाहन चढ़ नहीं पाते। कपकोट से कमी जाने वाली सड़क सरन से आगे कई स्थानों पर बह गई थी। पहाड़ी को काटकर वाहनों का संचालन किया जा रहा है। सड़क काफी संकरी हो गई है।
बागेश्वर पीएमजीएसवाई डिविजन की मथुरौ-पाटली, बागेश्वर-नौगांव, जैसर-रियूनीलखमार, कठपुड़ियाछीना-सिया, बालीघाट-दोफाड़- बिजोलीझाल-ओखलसों, डंगोली-सलानी, पाना-तरमोली, धरमघर, दाणोछीना-लोब समेत 15 सड़कों को नुकसान पहुंचा था। मरम्मत के लिए अब तक बजट नहीं मिला है। लोनिवि कपकोट डिवीजन की 10 सड़कों को क्षति पहुंची थी। यह सड़कें भी मरम्मत की बाट जोह रही हैं।
सड़कों को नुकसान से बचाने को कब होंगे उपाय
बागेश्वर। एक बार फिर बरसात सामने है। पिछले साल क्षतिग्रस्त सड़कों की ही मरम्मत नहीं हुई है। सड़कों के स्क्रबर बंद होने और निकास नालियों में पटा मलबा सड़कों को और अधिक क्षति पहुंचाएगा।
सड़कें हैं टूटी, जनता है रूठी, सरकार की आंख और कान बंद
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