प्रदेश में लगातार धधक रहे जंगलों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए अब शासन ने जिलाधिकारियों की भूमिका भी तय कर दी है। प्रदेश में इस समय आठ जिलों में सबसे अधिक आग की घटनाएं हुई हैं। प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण आरके सुधांशु ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर जंगलों में आग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें कहा गया है कि वन विभाग को जिलों में उपलब्ध सभी विभागों, संस्थाओं, सेना व अद्र्धसैनिक बलों का सहयोग प्रदान किया जाए। आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए प्रभागीय वनाधिकारियों को अनटाइड फंड से आवश्यकतानुसार धनराशि उपलब्ध कराई जाए। प्रदेश में इस समय तेज गर्मी पड़ रही है। स्थिति यह है कि तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री तक अधिक है।
लगातार सूखा रहने से आग लगने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। प्रमुख सचिव वन द्वारा सभी जिलाधिकारियों को भेजे पत्र में कहा है कि इस समय प्रदेश के आठ जिलों में आग लगने की सबसे अधिक घटनाएं हुई हैं। इनमें अल्मोड़ा (150), पिथौरागढ़ (112), पौड़ी (86), बागेश्वर (80), टिहरी (69), चमोली (45), उत्तरकाशी (44) व चम्पावत (13) शामिल हैं। पत्र में कहा गया है कि इन जिलों में जंगल की आग पर रोक लगाने के लिए वन विभाग अपने स्तर से जुटा हुआ है। आग लगने का मुख्य कारण ग्रामीणों द्वारा खेतों में पराली जलाना भी है। तेज हवाओं के कारण इनकी आग जंगल तक पहुंच रही है।
वन विभाग इसके लिए अपने संसाधनों से ग्रामीणों से अपील कर रहा है, जो पर्याप्त नहीं है। इसी तरह सिविल व वन पंचायतों में आग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए स्थानीय प्रशासन, एसडीआरएफ, आपदा क्यूआरटी को शामिल किया जाना भी जरूरी है। इस दिशा में कदम उठाए जाएं। राजस्व वनों में अग्नि प्रबंधन के लिए राजस्व पटवारी चौकियों को वनाग्नि काल तक क्रू स्टेशन में परिवर्तित किया जाए। वन क्षेत्र से गुजरने वाले विद्युत पारेषण लाइनों की गहनता से जांच की जाए। शरारती तत्वों द्वारा जान-बूथ या रंजिश के कारण वन क्षेत्रों में आग लगाने संबंधी केस पर पुलिस द्वारा मुकदमें दर्ज कराए जाएं।
जंगल की आग रोकने को जिलाधिकारियों की भूमिका तय, इस समय आठ जिलों में सबसे अधिक हुई आग की घटनाएं
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