अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एनएस भंडारी ने कहा कि भविष्य के लिए हम नेपाल और तिब्बत की भाषाओं का पाठ्यक्रम तैयार कर रहे हैं ताकि हमारे विद्यार्थी, शोधार्थी और शोध अध्येता भारत-नेपाल की संस्कृति, समाज, कला आदि पर शोध, अध्ययन कर सकें। जंतु विज्ञान सभागार में पत्रकार वार्ता करते हुए उन्होंने यह बात कही।
प्रोफेसर भंडारी ने बताया कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के इतिहास, समाजशास्त्र, हिंदी विभाग और सेवा इंटरनेशनल अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद (नेपाल अध्ययन केंद्र) नई दिल्ली की ओर से 27 जून से विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग सभागार में इंडो नेपाल रिलेशंस एंड उत्तराखंड इंडिया शेयर्ड हिस्ट्री एंड कल्चर विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में नव सृजित सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में शोध की काफी संभावनाएं हैं। सेमिनार में विभिन्न देशों के अकादेमिक सदस्य, रिसर्चर, अध्येता चिंतन मनन करेंगे। दोनों देशों की संस्कृति, समाज, कला पर आज भी अध्ययन करने योग्य हैं।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद (नेपाल अध्ययन केंद्र) नई दिल्ली के संयोजक सचिव डॉ. लवी त्यागी ने बताया कि सेमिनार में देश- विदेश के सदस्य भाग ले रहे हैं जो हमारे विद्यार्थियों को जानकारियां देंगे। सेमिनार के स्थानीय सचिव प्रो. वीडीएस नेगी ने बताया कि 27 को दोपहर दो बजे सेमिनार का उद्घाटन होगा। तैयारी पूरी कर ली गई है। वहां शोध एवं प्रसार निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट, कुलसचिव डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट, डॉ. नंदन सिंह बिष्ट, डॉ. चंद्र प्रकाश फुलोरिया, विश्वविद्यालय क्रीड़ा अधिकारी लियाकत अली, विश्वविद्यालय मीडिया प्रभारी डॉ, ललित जोशी, डॉ. गोकुल देउपा, डॉ. लक्ष्मी वर्मा, प्रेमा बिष्ट आदि थे।
विदेशों से भी पहुंचेंगे विषय विशेषज्ञ
अल्मोड़ा। सेमिनार में जर्मनी, फ्रांस, यूएसए, पोलैंड, रूस, नेपाल और भारत के विषय विशेषज्ञ, विद्वान भागीदारी कर रहे हैं। विभिन्न तकनीकी सत्रों में भारत एवं अन्य देशों के रिसर्चर भारत-नेपाल के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, सामाजिक, साहित्यिक आदि पहलुओं पर अपने शोध पत्रों को पढ़ेंगे।
नेपाली, तिब्बत की भाषाओं पर पाठ्यक्रम तैयार कर रहा है विश्वविद्यालय
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