हल्द्वानी और आसपास के गांवों के लिए आफत बन चुके बाघ से निजात दिलाने के लिए 72 साल का जांबाज शिकारी जंगल में उतर चुके हैं। अब तक 57 आदमखोर बाघ-गुलदारों को ठिकाने लगा चुके आशीष दास गुप्ता 58वें शिकार की तलाश में हैं। इस बार उनका साथ दे रहे हैं 28 साल के अंतरराष्ट्रीय शूटर सैयद अली। नैनीताल जिले की फतेहपुर रेंज में पिछले चार माह में आदमखोर बाघ 6 लोगों की जान ले चुका है। आदमखोर के आतंक को खत्म करने के लिए वन विभाग ने परनू हिमाचल प्रदेश निवासी व उच्च दर्जे के शिकारी आशीष दास गुप्ता को बुलाया है। हिमाचल स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य आशीष 15 साल की उम्र से ही शिकार कर रहे हैं। अभी तक उन्होंने करीब 57 आदमखोर को शिकार बनाया है जिसमें 5 बाघ और शेष गुलदार हैं।
दुगड्डा में 57 जानें लेने वाले गुलदार को भी किया था ढेर
अपने अनुभव साझा करते हुए आशीष ने बताया कि 1987 में दुगड्डा में आदमखोर गुलदार को मारना काफी चुनौती पूर्ण रहा। उस गुलदार ने 57 लोगों की जान ली थी। वह समय-समय पर लोगों को मारकर गायब हो रहा था। करीब चार साल बाद उस गुलदार को उन्होंने अपने गुरु कर्नल शेर जंग जो स्वतंत्रता सेनानी भी रहे के साथ ठिकाने लगाया था। इसके अलावा 1998 में पौड़ी में 40 लोगों की जान लेने वाले गुलदार को मारना भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा।
अंतरराष्ट्रीय शूटर सैयद अली भी हैं साथ
आशीष के साथ मेरठ अमरौली के रहने वाले युवा सैयद अली बिन हादी भी आदमखोर की तलाश में जुटे हैं। सैयद 2003 में जूनियर नेशनल शूटिंग के चैंपियन रह चुके हैं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की शूटिंग प्रतियोगिताओं में 25 से अधिक मेडल जीते हैं। उनके पिता सैयद हादी और दादा सैयद इक्तेदार हुसैन भी मशहूर शिकारी रहे हैं। सैयद अली पिथौरागढ़ जिले में भी दो आदमखोर गुलदार को ठिकाने लगा चुके हैं। उन्हें लाइसेंस टू किल मैनइटर हंटर भी मिला हुआ है। यह लाइसेंस देश में गिने-चुने शिकारियों को ही दिया जाता है।
मुझे बाघ-गुलदार को मारने को शौक नहीं है। पहले वन्यजीव को ट्रेंकुलाइज करने या पिंजरे में फंसाने का प्रयास किया जाता है। उसे मारना अंतिम विकल्प है। नेचर को बचाने के लिए हर व्यक्ति को अपने-अपने स्तर से प्रयास करने चाहिए। आशीष दास गुप्ता, शिकारी
बाघ का आतंक:72 साल का जांबाज शिकारी, 58वें आदमखोर को करेगा ढेर
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