अल्मोड़ा। उत्तराखंड लोक वाहिनी की बैठक में वक्ताओं ने पर्वतीय क्षेत्रों के उपेक्षित विकास को पटरी पर लाने के लिए देहरादून में एक और विधान भवन बनाने के बजाय गैरसैंण को ही स्थायी राजधानी बनाने की मांग की। मंगलवार को आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि अल्मोड़ा-खैरना मार्ग खस्ताहाल है। आवाजाही के दौरान लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अग्निवीरों के बजाय सैनिकों को पूर्व की तरह स्थायी रोजगार दिया जाए। यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो चार साल की सेना में भर्ती के बाद उन्हें सार्वजनिक सेक्टर में नियुक्ति का प्रावधान होना चाहिए अन्यथा देश में निजी रूप से खड़ा किया गया सुरक्षा तंत्र देश के लिए ही समस्या पैदा करेगा।
चंदन तस्कर वीरप्पन को पकड़ने के लिए सरकारों के पसीने छूट गए। उन्होंने पहाड़ में सुरंगो के ऊपर भू-धंसाव, जोशीमठ जैसे शहरों पर मंडराते खतरे और आपदा की जद में आ रहे गांवों को पुनर्वासित करने की मांग की। उन्होंने मैदानी जिलों की भू- परिस्तिथियां पहाड़ों के अनुकूल न होने के कारण पहाड़ों के विकास के लिए अलग से इंजीनियरिंग विंग और मानकों में स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप परिवर्तन पर जोर दिया। जिला विकास प्राधिकरण को उसी के अनुरूप व्यवस्थित करने या नगर पालिकाओं को नगर को व्यवस्थित करने के अधिकार देने पर बल दिया जाए। जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की आगामी 22 अगस्त को होने वाली पुण्यतिथि और डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट की पुण्यतिथि 22 सितंबर को जनचेतना दिवस के रूप में सार्वजनिक रूप से मनाने का निर्णय लिया। अध्यक्षता उत्तराखंड लोक वाहिनी के केंद्रीय अध्यक्ष राजीव लोचन साह और संचालन पूरन तिवारी ने किया बैठक में उलोवा के वरिष्ठ नेता जंग बहादुर थापा, विशन दत्त जोशी, जगत रौतेला, दया कृष्ण कांडपाल, कुणाल तिवारी, अजयमित्र सिंह बिष्ट, दीवान सिंह, अजय सिंह मेहता आदि थे।