Sunday, November 23, 2025
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UP: लखनऊ में बोले मोहन भागवत— “गीता नैतिक उलझनों में फंसे विश्व को दिशा देने वाला शाश्वत ज्ञान”

लखनऊ: ‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’ में मोहन भागवत का संबोधन— “गीता वैश्विक संकटों का समाधान प्रस्तुत करती है”

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने रविवार को कहा कि आज विश्व जिस नैतिक भ्रम, संघर्ष और अशांति से गुजर रहा है, उसके समाधान के लिए श्रीमद्भगवद्‌ गीता एक अ timeless मार्गदर्शक के रूप में मौजूद है। उन्होंने कहा कि गीता के उपदेश न केवल जीवन को सही दिशा देते हैं, बल्कि मनुष्य के व्यवहार, सोच और चरित्र में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।

डॉ. भागवत लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित ‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’ के मुख्य अतिथि थे। विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम केवल उत्सव नहीं, बल्कि गीता के संदेश को जीवन में उतारने का संकल्प है।
उन्होंने कहा, “हम गीताजीवी हैं। गीता हमारे जीवन का आधार है, और इसे व्यवहार में लाने से जीवन स्वतः संतुलित और सार्थक बन जाता है।”

भागवत ने श्रोताओं से आग्रह किया कि वे गीता के 700 श्लोकों का नियमित अध्ययन करें। उन्होंने कहा कि यदि प्रतिदिन केवल दो श्लोक पढ़ने का संकल्प लिया जाए, तो एक वर्ष में व्यक्ति का जीवन पूरी तरह ‘गीतामय’ हो सकता है।


सीएम योगी आदित्यनाथ का भाषण— “धर्म केवल उपासना नहीं, जीवन जीने की कला है”

कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्‌ गीता सनातन धर्मावलंबियों के लिए “जीवन का सूत्र” है, जिसमें प्रत्येक श्लोक मनुष्य को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

योगी ने कहा,
“गीता हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। भारत ने हमेशा कभी अपनी श्रेष्ठता का डंका नहीं पीटा, बल्कि ‘जीओ और जीने दो’ की भावना के साथ विश्व को मार्ग दिखाया है।”

उन्होंने आगे कहा कि “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना भी भारत की ही देन है—जो विश्व को एक परिवार मानने का संदेश देती है।

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