उत्तराखंड/उत्तर प्रदेश: देश का पहला बड़ा कार्बन क्रेडिट मॉडल लॉन्च, मिट्टी की सेहत और किसानों की आय बढ़ाने की ऐतिहासिक पहल
उत्तर प्रदेश सरकार ने आईआईटी रुड़की के सहयोग से देश का पहला बड़े पैमाने का किसान कार्बन क्रेडिट मॉडल शुरू कर कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस नए मॉडल से किसानों को जलवायु-अनुकूल खेती अपनाने पर प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ मिलेगा, साथ ही मिट्टी की सेहत भी मजबूत होगी। इसकी शुरुआत सहारनपुर मंडल से की गई है, जहां हर वर्ष बड़े पैमाने पर कार्बन क्रेडिट उत्पन्न करने की क्षमता मौजूद है।
पहली बार किसानों को मिलेगा कार्बन संग्रहण का सीधा लाभ
यह भारत का पहला शासन–शैक्षणिक संयुक्त मॉडल है जिसमें वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित डिजिटल मॉनिटरिंग, रिपोर्टिंग और वेरिफिकेशन (DMRV) तकनीक का उपयोग कर कार्बन क्रेडिट तैयार किए जाएंगे। किसान टिकाऊ कृषि पद्धतियां अपनाकर मिट्टी में कार्बन संग्रहण बढ़ाएंगे, जिससे कार्बन क्रेडिट उत्पन्न होंगे और इसका लाभ सीधे किसानों के बैंक खातों में पहुंचेगा।
इस परियोजना के तहत किसान अपनाएंगे—
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न्यूनतम जुताई
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कवर क्रॉपिंग
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फसल अवशेष प्रबंधन
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कृषि-वनीकरण
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उन्नत बायो-फर्टिलाइज़र का उपयोग
इन तकनीकों से न केवल कार्बन संग्रहण बढ़ेगा बल्कि खेती की लागत में भी कमी आएगी।
आईआईटी रुड़की किसानों को जोड़ेगा वैश्विक कार्बन बाजार से
डिजिटल रूप से मापे गए उच्च गुणवत्ता वाले कार्बन क्रेडिट की बिक्री से प्राप्त धनराशि सीधे किसानों को दी जाएगी। आईआईटी रुड़की इस पूरी प्रक्रिया में तकनीकी मार्गदर्शन के साथ-साथ किसानों को वैश्विक कार्बन बाजार और अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. केके पंत ने कहा कि यह पहल किसानों को कार्बन क्रेडिट के माध्यम से नए आय स्रोत प्रदान करेगी और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी।
परियोजना के नोडल अधिकारी प्रो. एएस मौर्य ने बताया कि मिट्टी में संग्रहित हर टन कार्बन को वैज्ञानिक रूप से मापकर उसका सत्यापन किया जाएगा और इसे आय में बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मॉडल मिट्टी के पुनर्जीवन, खेती की लागत कम करने और किसानों की दीर्घकालिक आय सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
भारत में टिकाऊ कृषि को नई दिशा
देश का पहला बड़ा किसान कार्बन क्रेडिट मॉडल पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आर्थिक मजबूती को एक साथ जोड़ने वाली एक ऐतिहासिक पहल है। यह मॉडल भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनेगा और भारत में टिकाऊ कृषि के नए युग की शुरुआत करेगा।