Sunday, November 24, 2024
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उत्तराखंड में अब बेहतर ढंग से हो सकेगा वन एवं वन्यजीव प्रबंधन, बढ़ेगी वन प्रभागों की संख्या

कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड में अब वन एवं वन्यजीव प्रबंधन बेहतर ढंग से हो सकेगा। प्रदेश में पहली बार होने जा रहे वन विभाग के ढांचे के पुनर्गठन में क्षेत्रीय व कार्यकारी वन प्रभागों की दो तरह की व्यवस्था के स्थान पर केवल क्षेत्रीय वन प्रभाग का प्रविधान किया जा सकता है। इन दिनों तैयार हो रहे पुनर्गठन से संबंधित ड्राफ्ट में यह सुझाव शामिल किया जा रहा है। इससे वन प्रभागों की संख्या बढऩे के साथ ही आकार छोटा होने से प्रबंधन अच्छे से हो सकेगा। यही नहीं, वन क्षेत्राधिकारी स्तर से वन रक्षक स्तर तक के पदों में आठ प्रतिशत तक की वृद्धि की जा सकती है। वन विभाग के वर्तमान ढांचे में विसंगतियों को देखते हुए सरकार ने पूर्व में इसके पुनर्गठन का निर्णय लिया। कुछ समय पहले शासन के निर्देश पर प्रमुख वन संरक्षक एवं वन विकास निगम के प्रबंध निदेशक डीजेके शर्मा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने विभाग के पुनर्गठन के ड्राफ्ट को लगभग तैयार कर लिया है। कमेटी इसी माह ड्राफ्ट को अंतिम रूप देकर शासन को सौंपेगी। सूत्रों के अनुसार कमेटी ने ड्राफ्ट में विभाग में क्षेत्रीय वन प्रभाग रखने की बात को प्रमुखता से शामिल करने पर जोर दिया है। असल में वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण-संवद्र्धन के मद्देनजर वन क्षेत्रों में तीन तरह की व्यवस्था है। इनमें 28 क्षेत्रीय वन प्रभाग (टेरिटोरियल) हैं, जबकि कार्यकारी (नान टेरिटोरियल) प्रभागों की संख्या 15 है। इसके अलावा संरक्षित क्षेत्रों की व्यवस्था जिम्मा वन्यजीव परिरक्षण संगठन के अंतर्गत है। नान टेरिटोरियल प्रभागों में भूमि संरक्षण, डैम प्रभाग जैसे प्रभाग शामिल हैं और इनका कार्य भूमि व मृदा से संबंधित है। टेरिटोरियल प्रभागों में आग अथवा शिकार आदि की घटनाएं होने पर नजदीकी क्षेत्रीय प्रभाग कार्य करता है। ऐसे में दूसरे प्रभागों का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। इसी के मद्देनजर कमेटी ने कार्यकारी प्रभागों का क्षेत्रीय प्रभागों में विलय कर छोटे प्रभाग बनाने का सुझाव रखा है। इसके स्वीकृत होने पर विभाग में क्षेत्रीय वन प्रभाग होंगे, जिनकी संख्या 50 तक हो सकती है।
प्रभागों से हटे बफर जोन का नियंत्रण
राज्य में छह राष्ट्रीय उद्यान, सात अभयारण्य और चार कंजर्वेशन रिजर्व हैं। इनका स्वरूप यथावत रहेगा, लेकिन राष्ट्रीय उद्यानों व अभयारण्यों के बफर यानी बाहरी जोन भी हैं। बफर जोन का नियंत्रण अभी वन प्रभागों के पास है। सूत्रों ने बताया कि बफर जोन का नियंत्रण संबंधित राष्ट्रीय उद्यान व अभयारण्य को देने की संस्तुति कमेटी कर सकती है।
बढ़ेगी पदों की संख्या
वन प्रभागों की संख्या बढऩे के मद्देनजर कमेटी यह सुझाव भी देगी कि विभाग के जमीनी रखवालों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके लिए वन रक्षक, वन दारोगा, उप वन क्षेत्राधिकारी व वन क्षेत्राधिकारी स्तर तक के पदों में तीन से आठ प्रतिशत तक की वृद्धि का प्रविधान रखने की कमेटी सिफारिश कर सकती है। इसके अलावा भारतीय वन सेवा और प्रांतीय वन सेवा के अधिकारियों के पदों में तीन से लेकर पांच तक की वृद्धि का सुझाव दिया जा सकता है।
वन विभाग के कार्य नियोजित और बेहतर ढंग से हों, इसी के मद्देनजर ढांचे के पुनर्गठन का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। वन प्रभागों को छोटा कर केवल क्षेत्रीय प्रभाग रखने पर जोर है। इससे कार्यों में तेजी आने के साथ ही पारदर्शिता भी रहेगी। इसके साथ ही जनता और विभाग की दूरी को कम करने का प्रयास किया जाएगा। -सुबोध उनियाल, वन मंत्री उत्तराखंड

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