हल्द्वानी। रेलवे की भूमि में अतिक्रमण की जद में आ रहे परिवारों को अपने सिर से छत का साया उठने की चिंता सता रही है। ढोलक बस्ती में दुश्वारियों के बीच दिन गुजार रहे लोगों का कहना है कि अगर उनकी झुग्गियों को उजाड़ा गया तो इस सर्दी के मौसम में वे अपने बच्चों को लेकर कहां जाएंगे? ढोलक बस्ती के प्रभावितों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि स्लाटर हाउस के पास उन्हें अपनी झुग्गियां बसाने के लिए जगह दी जाए ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास तीन एकड़ के दायरे में बसी ढोलक बस्ती में करीब 200 झुग्गियां हैं। यहां ढोलक बनाने वाले परिवारों की 3500 से अधिक आबादी गरीबी के कारण नारकीय जीवन गुजारने को मजबूर हैं। ढोलक बस्ती के परिवारों का कहना है कि न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं। हमें उजाड़ने से पहले सरकार और प्रशासन को पुनर्वास की व्यवस्था करे।
किदवईनगर में दशकों से पक्के मकान बनाकर रह रहे लोगों की रातों की नींद भी उड़ गई है। यहां के प्रभावितों का कहना है कि जब यह इलाका पूरी तरह वीरान और बंजर था तब हमारे पूर्वजों ने इसे आबाद किया था। अब हमें बर्बाद करने की तैयारी की जा रही है। एक तरफ सरकार गरीबी हटाने की बात करती है वहीं दूसरी तरफ गरीबों को उजाड़ना चाहती है। किदवई नगर की 70 वर्षीय हाशमी बताती हैं कि जब वह 17 साल की थीं तब से यहां रह रही हैं। परिवार की तीन पीढ़ियां इस मकान में पली बढ़ी हैं। घर टूटने की बातें हो रही हैं। सरकार को हमारे बारे में सोचना चाहिए। सर्दी के मौसम में हमें नहीं उजाड़ना चाहिए। अपने बच्चों को लेकर कहां जाएंगे। सरकार और प्रशासन से अपील है कि स्लॉटर हाउस के पास झुग्गी बसाने के लिए जमीन दी जाए। – शेर दिल, गफूर बस्ती
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झुग्गी झोपड़ी से निकालना चाहते हैं निकाल दें। मगर सिर छिपाने के लिए जगह दी जाए। एक तंबू में पांच परिवार अपना गुजारा कर लेते हैं। कम से कम जमीन पर भी गुजारा कर लेंगे। – शब्बू, गफूर बस्ती
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हमें मत उजाड़ो। 53 साल से यहां रह रही हूं। इस बंजर इलाके को हमने ही आबाद किया था। आज बर्बाद होने की स्थिति आ गई है। मकान नहीं रहेगा तो परिवार के साथ कहां जाएंगे। – हाशमी, किदवई नगर
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पहले ये इलाका दान सिंह मालदार के अधीन था। तब यहां काम करने वाले मजदूरों ने अपने रहने के लिए मकान बनाए। दशकों से हम यहां रह रहे हैं। हमें उजाड़कर सरकार क्या संदेश देना चाहती है। – सिजाउद्दीन, किदवई नगर
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