व्यासी बांध परियोजना से विद्युत उत्पादन शुरु हो चुका है, लेकिन दोनों टरबाइनों को चलाकर 120 मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए यमुना में पानी की कमी आड़े आ रही है। दोनों टरबाइन साथ चलाने के लिए करीब 60 क्यूमेक्स पानी चाहिए, जबकि यमुना में मात्र 25 से 30 क्यूमेक्स पानी ही आ रहा है। जिससे एक ही मशीन से उत्पादन किया जा रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि पानी की कमी के चलते जब एक ही टरबाइन उत्पादन करेगी तो दो टरबाइन लगाने का क्या औचित्य। एक सौ बीस मेगावाट की व्यासी बांध परियोजना पर 60-60 मेगावाट की दो टरबाइन लगी हैं। पहली टरबाइन से बिजली उत्पादन शुरु हो चुका है। जिससे लगातार 60 मेगावाट के हिसाब से बिजली का उत्पादन किया जा रहा है, जबकि दूसरी टरबाइन की टेस्टिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है। इस टरबाइन का सोमवार से ट्रायल रन होना प्रस्तावित है। लेकिन दोनों टरबाइनों को एक साथ चलाकर बिजली उत्पादन करने में सबसे बड़ी दिक्कत पानी की आ रही है। सोमवार को अब दूसरी मशीन से विद्युत उत्पादन शुरू करने के लिए ट्रायल होना है। इसके लिए पहले से उत्पादन कर रही टरबाइन को बंद करना पड़ेगा। तभी दूसरी मशीन से उत्पादन शुरू हो पायेगा। व्यासी बांध परियोजना पावर हाउस के ईडी हिमांशु अवस्थी ने कहा कि किसी भी परियोजना को एक सौ वर्ष के पानी के डिस्चार्ज के हिसाब से डिजाइन किया जाता है। व्यासी बांध परियोजना पीक आवर में विद्युत उत्पादन के लिए तैयार की गयी है।
दिनभर में पानी एकत्र कर शाम को चलाया जाना है। इसके अलावा लखवाड़ व्यासी बांध परियोजना एक साथ स्वीकृत हुई, एक साथ बनना था। जिसमें लखवाड़ के रिजर्व वायर का पानी आने से दोनों मशीनें चलतीं। लेकिन बाद में लखवाड़ परियोजना में कुछ अड़चनें आयी। जिसके कारण वह अभी नहीं बनी।
झील का जलस्तर घटते ही दिखने लगा लोहारी
व्यासी बांध की झील का जलस्तर कम होने के साथ ही एक बार फिर डूब चुके लोहारी गांव के खेत खलिहान, उजड़े घर दिखने लगे हैं। पानी का जलस्तर गांव से तीन मीटर दूर जा चुका है। ऐसे में गांव के आसपास ठहरे हुए विस्थापित अपने पैतृक घरों में बची इमारती लकड़ी और कास्त की लकड़ी आदि को खेतों में एकत्र करते नजर आए। लोहारी गांव 630 आरएल मीटर पर है। 12 अप्रैल को जलस्तर 630 आरएल मीटर पर आ जाने के बाद लोहारी गांव जलमग्न हो गया था। बांध परियोजनाओं की टरबाइनों में टेस्टिंग, सिंक्रोनाइजेशन प्रक्रिया और टरबाइनों को ट्रायल रन पर रखने के लिए झील के पानी को डिस्चार्ज किया जाता रहा है।
जिससे झील का जलस्तर घटने लगा है। इन दिनों बिजली उत्पादन और टेस्टिंग के कार्य चरम पर हैं। इससे झील का जलस्तर 630 आरएल मीटर से घटकर 627 आरएल मीटर पर आ गया है।
यमुना नदी में महज पच्चीस से तीस क्यूमेक्स पानी आ रहा है। जबकि बिजली उत्पादन और टेस्टिंग कार्यों के लिए झील से पानी को बांध की सुरंगों तीस क्यूमेक्स से अधिक पानी छोड़ने के कारण झील का जलस्तर घट गया है। 627 आरएल मीटर पर झील का जल स्तर है। लोहारी गांव फिर से दिखने लगा है। बरसात में नदी में पानी बढ़ने के बाद झील का लेबल पूरा 631.5 आरएल मीटर तक भर जाएगा। – राजीव अग्रवाल, ईडी, यूजेवीएनएल व्यासी बांध परियोजना।
ऐसे होगा बिजली उत्पादन? व्यासी प्रोजेक्ट में चौथे दिन ही कम पड़ा यमुना में पानी
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