काशीपुर। गैर इरादतन हत्या के मामले में कोर्ट में कई गवाहों के मुकर जाने के बावजूद प्रथम एडीजे की अदालत ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को आधार माना और आरोपी को पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने पर उसे एक साल का अतिरिक्त कारावास काटना होगा। 19 दिसंबर 2016 को गंगापुर निवासी मंगल सिंह ने कुंडा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसका बेटा बंटी गांव में अब्बास के निर्माणाधीन मकान में मजदूरी करने गया था। कुछ देर बाद अब्बास उसके बेटे बंटी को झुलसी हुई हालत में सरकारी अस्पताल में छोड़कर चले गए। वह अपनी पत्नी के साथ अस्पताल पहुंचे तो बंटी की सांसें थम चुकी थीं। पोस्टमार्टम में मौत का कारण करंट लगना सामने आया था।
पुलिस ने अब्बास के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया। इसमें कहा गया था कि अब्बास ने बिजली चोरी करने के इरादे से केबल में कट लगाया था। तारों के संपर्क में आने से करंट लगने के कारण बंटी की मौत हुई है। वाद का सत्र परीक्षण प्रथम एडीजे की अदालत में हुआ। अभियोजन पक्ष की ओर से वादी समेत 10 गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया। इनमें से कई ने अभियोजन पक्ष के कथानक का समर्थन नहीं किया। ऊर्जा निगम एसडीओ मदन लाल टांक ने अपनी गवाही में कहा कि आरोपी बिजली चोरी नहीं कर रहा था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी एडीजीसी विपिन अग्रवाल ने की। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को देखते हुए अदालत ने अब्बास को धारा 304 के तहत दोषी करार दिया। अदालत ने आरोपी को पांच वर्ष के कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने में से 95 हजार रुपये की राशि मृतक के माता-पिता को बराबर-बराबर दी जाएगी। शेष पांच हजार रुपये की रकम विधिक प्राधिकरण में जमा की जाएगी।
कोर्ट ने माना
-अदालत ने कहा कि मौके पर बिजली के खुले तार होना पाया गया है।
-आरोपी के नाम कोई बिजली कनेक्शन नहीं था, इससे साफ है कि वहां खंबे पर तार बिजली चोरी करने के लिए ही डाले गए थे।
-अदालत ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बंटी की मौत का कारण करंट से होना बताया गया है।
गवाह मुकर गए मगर जीत गया इंसाफ
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