कालिका मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में भागवत आचार्य देवेंदर उपाध्याय ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करने के लिए अनेकों देवी देवता रूप बदल बदल कर आने लगे। मथुरा के राजा कंस ने भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए पूतना नाम की राक्षसी को भेजा। उसने भगवान श्री कृष्ण को छल से मारना चाहा। लेकिन वह स्वयं मर गई। जब कंस को पता चला कि पूतना मर चुकी है वह तब भी शांत नहीं हुआ। उसने कर्णावर्त यानी तूफानी राक्षस को श्री कृष्ण को मारने के लिए भेजा। वह भी मारा गया। सक्तासुर, बकासुर भी मारे गए। मौके पर भजन-मुझे श्याम प्यारा मिल गया.., जियो श्याम लाला जियो श्याम लाला.., पलना में ललना झुलावे यशोदा मैया..,दर पर तुम्हारे सांवरे सर को झुका दिया.., मैं तो गिरिराज को जाऊंगी ना माने मेरे मनवा.., मुरली वाले की क्या बात है करता रहमत की बरसात है.., राधा रानी मेरे साथ है फिर डरने की क्या बात है..पर श्रद्धालु झूमने लगे। इस अवसर पर गगन सेठी, दयाल धवन, रमेश साहनी, जय किशन कक्कड़, नरेश मैनी, अशोक लांबा, संजय आनंद, नंद कुमार आनंद, रवि चढ्ढा, महेश डोरा, मोहित बांगा, दीपक बिष्ट, सतीश कक्कड़, संजीव शर्मा, संजय चांदना, महेश डोरा, विजय अरोड़ा, अनिरुद्ध गुप्ता, कमल स्वरूप गुप्ता, सतीश शर्मा,, रमेश साहनी, विजय अरोड़ा, प्रदुमन मैनी, सुभम मैनी, कमल गुलाटी, हरीश कक्कड़ आदि मौजूद था।