हल्द्वानी। हल्द्वानी और कोटाबाग में पेयजल किल्लत का समाधान जल जीवन मिशन योजना से किया जाएगा। इसके तहत 51 प्रोजेक्ट की डीपीआर को मंजूरी मिल गई है जिसकी लागत करीब 120 करोड़ रुपये है। इसमें ट्यूबवेल और ओवरहेड टैंक बनाए जाएंगे। कई इलाकों में पाइप लाइन भी बिछेगी। इससे 85000 से अधिक की आबादी लाभान्वित होगी।
क्षेत्र को हल्द्वानी और कोटाबाग दो ब्लॉकों में बांटा गया है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक हल्द्वानी ब्लॉक के 51 गांवों और कोटाबाग के तकरीबन 72 गांवों में पेयजल कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है। दोनों ब्लॉकों में 22 सिंगल विलेज स्कीम (एसवीएस), 29 मल्टी विलेज स्कीम (एमवीएस), 34 पंपिंग स्कीम और 17 ग्रेविटी स्कीम तैयार किए गए हैं। इसके तहत करीब 13 नए ट्यूबवेल और 21 ओवरहेड टैंकों का निर्माण किया जाएगा। 51 क्षेत्रों में नई पाइप लाइन बिछाने का काम किया जाएगा। जल जीवन मिशन के तहत अधिकारियों को 60 डीपीआर बनानी थीं लेकिन अभी तक केवल 51 डीपीआर ही बनकर तैयार हो पाईं हैं। सोशल ऑडिट होने की वजह से अन्य डीपीआर का काम धीमा पड़ गया है। वर्तमान डीपीआर के मुताबिक इस योजना में सरकार करीब 120.50 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है।जल संस्थान के अधिशासी अभियंता एसके श्रीवास्तव का कहना है कि जल्द ही बकाया डीपीआर को पूरा कर स्वीकृति के लिए अधिकारियों के पास भेज दिया जाएगा। बताया कि इस योजना के तहत हल्द्वानी और कोटाबाग ब्लॉक के करीब 17044 परिवारों को कनेक्शन दिए जाएंगे। 40 प्रतिशत से ज्यादा कनेक्शन दिए जा चुके हैं।
एसवीएस और एमवीएस योजना
जब किसी गांव में स्रोतों से पानी को उसी गांव के घरों तक पहुंचाने के प्रयास किए जाते हैं और साधनों का इस्तेमाल करके उस एक ही गांव के लोगों को लाभान्वित किया जाता है, तब वह सिंगल विलेज स्कीम कहलाती है। जब एक गांव के स्रोत से कई गांवों तक पानी पहुंचाया जाता है तो वह मल्टी विलेज स्कीम कहलाती है।
पंपिंग और ग्रेविटी योजना
जब पानी को ऊंचाई वाले स्रोतों से नीचे की तरफ पहुंचाया जाता है तो वह योजना ग्रेविटी कहलाती है और जिस योजना में नीचे से ऊपर बसे गांव तक पानी पहुंचाया जाता है उसे पंपिंग योजना कहा जाता है।
120 करोड़ 50 लाख से हल्द्वानी और कोटाबाग में होगा जल संकट का समाधान
RELATED ARTICLES