हल्द्वानी। राज्य सहकारी बैंक में दो साल पहले अनुबंध का एक अनोखा खेल खेला गया जिसकी कीमत बैंक को 2.38 करोड़ रुपये देकर चुकानी पड़ी है। इस पूरे मामले में बैंक के 25 लाख उपभोक्ताओं की बैंकिंग सेवा पर तो बन ही आई थी, बैंक की साख पर पलीता लगने की नौबत भी खड़ी हो गई। पुरानी कंपनी से करार खत्म नहीं होने के बावजूद नई कंपनी को बैंक ने सॉफ्टवेयर का जिम्मा दिया। अब बैंक ने इस पूरे मामले में 2.38 करोड़ रुपये का भुगतान भी इसी नई कंपनी को कर दिया है जो तय समय में काम कर ही नहीं सकी। नई कंपनी को काम और बिना काम के भी उसे दाम देने का यह मामला अब चर्चा का विषय बना हुआ है।
प्रदेश के अधिकतर बैंकों के फाइनेंशियल सॉफ्टवेयर का काम विप्रो कंपनी को दिया गया है। राज्य सरकारी बैंक से संबद्ध सभी जिला सहकारी बैंकों का काम भी विप्रो कंपनी के पास ही था। 2020 में राज्य सरकार ने आदेश जारी कर भारत सरकार की टीसीआईएल कंपनी को सहकारी बैंक के फाइनेंशियल सॉफ्टवेयर का काम सौंप दिया। टीसीआईएल ने अपनी एक वेंडर कंपनी को राज्य सहकारी बैंक से संबद्ध बैंकों का काम सौंप दिया। बताते हैं कि वेंडर कंपनी यूपी की ब्लैक लिस्टेड कंपनी है। इसके बावजूद टीसीआईएल के द्वारा इसे काम देने पर पहले ही संदेह हो गया। यह कंपनी बैंक के पूरे डाटा एकत्र करने के तय समय 108 दिन में भी सेवाएं नहीं दे पाई। बतातेे हैं कि बैंक के साथ कंपनी का पांच करोड़ रुपये सालाना सौदा तय हुआ था। कंपनी ने राज्य सहकारी बैंक में अपना सॉफ्टवेयर सिस्टम भी लगा दिया था। काम नहीं कर पाने की वजह से बैंक प्रबंधन ने टीसीआईएल के साथ अनुबंध खत्म कर दोबारा विप्रो के साथ करार कर दिया। लेकिन बैंक प्रबंधन टीसीआईएल कंपनी को 2.38 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। इसकी भरपाई कैसे होगी, इस पर अभी कोई ठोस निर्णय बैंक प्रबंधन नहीं ले पाया है। बताते हैं कि अधिकांश बैंक प्रबंधक और तत्कालीन एमडी इस कंपनी को काम देने के खिलाफ थे लेकिन शासन के दबाव में जबरन इस कंपनी को काम दिया गया।
कोट=
भारत सरकार की टीसीआईएल कंपनी को काम सौंपा था। उसने दूसरी कंपनी को अपना वेंडर बनाया था। उसकी टेक्निकल टीम डाटा लेने के तय समय 108 दिन बाद भी सेवाएं नही दे पाई, इस वजह से अनुबंध खत्म करना पड़ा। विप्रो के साथ अनुबंध की अंतिम तिथि दिसंबर 2022 थी। अगर विप्रो से अनुबंध नहीं बढ़ाते तो 25 लाख उपभोक्ताओं की बैंकिंग सेवाएं ठप हो जातीं। बैंक प्रबंधन ने अनुबंध खत्म करने का निर्णय लेकर टीसीआईएल से काम वापस ले लिया। जो पैसे का भुगतान किया है उसे भी वापस लिया जाएगा। – दान सिंह रावत, अध्यक्ष राज्य सहकारी बैंक।
फिलहाल विप्रो के साथ काम जारी रहेगा
2020 में टीसीआईएल से अनुबंध किया था। यह कंपनी काम नहीं कर पाई। विप्रो का एग्रीमेंट भी खत्म नहीं हुआ था। कंपनी को 2.38 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। विप्रो के साथ एक साल का अनुबंध बढ़ाया गया है। नई कंपनी ने सॉफ्टवेयर के लिए जो सिस्टम बनाया है, उसे बैंक के काम में लाया जाएगा। – प्रबंध निदेशक नीरज बेलवाल राज्य सहकारी बैंक।
कोट
प्रदेश सरकार के निर्देश पर हमारे बैंक ने ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में टीसीआईएम कंपनी को काम दिया गया था। इस कंपनी से काम वापस ले लिया गया है। कंपनी के साथ अनुबंध भी रद्द कर दिया गया है। – राजेंद्र सिंह नेगी, चेयरमैन जिला सहकारी बैंक नैनीताल।
कोट
हमने किसी कंपनी को कोई काम नहीं दिया था। बैंक या प्रदेश शासन ने दिया होगा। हमारे आने के बाद तो कुछ हुआ ही नहीं। बैंक या शासन स्तर पर किया गया होगा। – आलोक कुमार पांडे, निबंधक राज्य सहकारी समितियां।
सॉफ्टवेयर अनुबंध में ढाई करोड़ का खेल
RELATED ARTICLES