चुनाव से मुझे क्या? एक वोट से क्या फर्क पड़ता है? ऐसे बहाने बनाकर मतदान से जी चुराने वालों के लिए नैनीताल जिले के 29 बुजुर्ग मिसाल बनकर दुनिया से विदा हुए हैं। बुढ़ापे में शारीरिक अक्षमता के कारण इन बुजुर्गों ने घर से मतदान करने का विकल्प भरा था। निर्वाचन आयोग की टीम दरवाजे तक पहुंच भी गई। पता चला कि बुजुर्ग अब जीवित नहीं हैं।
मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने दिव्यांगों व 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को घर से मतदान करने का विकल्प दिया है। ऐसे मतदाताओं को नामांकन की अंतिम तिथि तक बीएलओ के माध्यम से पोस्टल बैलेट के लिए आवेदन करना था। दिव्यांगों व बुजुर्गों ने उत्साह से आवेदन किया। नैनीताल जिले की छह विधानसभा सीटों से 1020 बुजुर्ग व 203 दिव्यांगों के वोट लेने के लिए 87 मतदान टीमें गांवों में पहुंची। जहां 29 बुजुर्गों के निधन होने की जानकारी मिली। दूसरी ओर हल्द्वानी में एक व कालाढूंगी में तीन मतदाताओं ने विभिन्न कारणों से पोस्टल बैलेट से मतदान करने से इन्कार कर दिया।
घर से बाहर भी मिले मतदाता
वोट लेने घर-घर पहुंची टीम को कई बुजुर्ग घर से बाहर गए मिले। विभिन्न विधानसभा सीटों में 42 बुजुर्ग घर में नहीं मिले। मतदान टीम के मुताबिक कुछ बुजुर्ग मांगलिक कार्यों के लिए रिश्तेदारी में गए थे तो कुछ दूसरे कामों से घर से निकले हुए थे।