Thursday, October 31, 2024
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सवा तीन लाख वाहनों के प्रदूषण प्रमाणपत्रों की होगी जांच, परिवहन मुख्यालय ने NIC को भेजा पत्र

उत्तराखंड में पंजीकृत करीब सवा तीन लाख वाहनों के प्रदूषण प्रमाणपत्र जांच के घेरे में आ गए हैं। यह प्रमाणपत्र वाहन पोर्टल पर तो अपडेट दिख रहे हैं लेकिन किस राज्य से बने हैं, यह पता ही नहीं चल पा रहा है। इनकी जांच के लिए परिवहन मुख्यालय ने एनआईसी को पत्र भेजा है। प्रदेश में करीब 29 लाख वाहन पंजीकृत हैं। यूरो-3 वाहनों के लिए साल में दो बार और बीएस-4 या इससे ऊपर के वाहनों के लिए साल में एक बार प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र बनवाना जरूरी है। परिवहन मुख्यालय की प्राथमिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि 16 लाख वाहनों के प्रदूषण प्रमाणपत्र एक्सपायर हो चुके हैं। वह बिना प्रमाणपत्रों के ही चल रहे हैं। वहीं, 13 लाख वाहन ऐसे हैं, जिनके प्रदूषण प्रमाणपत्र वैध हैं।
परिवहन मुख्यालय ने जब वाहन पोर्टल से इन 13 लाख प्रमाणपत्रों की जांच की तो पता चला कि इनमें से 7.50 लाख प्रमाण पत्र तो उत्तराखंड के करीब 300 प्रदूषण जांच केंद्रों से जारी हुए हैं। 2.25 लाख वाहनों के प्रमाणपत्र यूपी व अन्य राज्यों से जारी हुए हैं। जबकि तीन लाख 25 हजार वाहन ऐसे हैं, जिनके प्रमाणपत्र पोर्टल पर तो अपडेट हैं लेकिन यह कहां से जारी हुए हैं, इसका पता ही नहीं है। परिवहन मुख्यालय ने इनकी जांच के लिए एनआईसी को पत्र भेजा है।
कहीं कोई गैंग तो नहीं कर रहा काम
जानकारों के अनुसार तीन लाख 25 हजार वाहनों के प्रदूषण प्रमाणपत्र वाहन पोर्टल पर अपडेट हैं और उनके बनने के स्थान का पता न होना बड़े फर्जीवाड़े की ओर इशारा कर रहा है। इसमें कोई बड़ा गैंग भी शामिल हो सकता है। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। प्रदूषण प्रमाणपत्र कहां से जारी होते हैं, यह विभाग को पता चल जाता है। प्रमाणपत्रों का जारी होना और उनकी लोकेशन ट्रेस न होना, गंभीर मामला है। हमने इसकी जांच के लिए एनआईसी को पत्र भेजा है। – सनत कुमार सिंह, संयुक्त परिवहन आयुक्त, परिवहन मुख्यालय

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