रुद्रपुर। इंटरार्क कंपनी से निकाले गए 354 श्रमिकों के लगभग ढाई महीने के वेतन दिलाने के लिए श्रम विभाग की ओर से प्रबंधन को एक करोड़ 84 लाख रुपये का रीकवरी नोटिस भेजा गया है। शासन की ओर से इंटरार्क कंपनी की ओर से की गई तालाबंदी को अवैध घोषित कर दिया गया है।
सहायक श्रमायुक्त एएलसी अरविंद सैनी ने कहा कि कंपनी प्रबंधन को नोटिस भेजकर श्रमिकों का डाटा मांगा गया है। 354 श्रमिकों का ढाई महीने का कुल एक करोड़ 84 लाख रुपये का वेतन देय है। उधर, इंटरार्क के एचआर एंड एडमिन बीवी श्रीधर ने कहा कि श्रमिकों को वेतन दिलाने के लिए श्रम विभाग की ओर से एक करोड़ 84 लाख रुपये का रीकवरी नोटिस मिला है। जिला प्रशासन की ओर से 21 जून को जवाब तलब के लिए बुलाया गया है। कंपनी की ओर से जवाब रखा जाएगा।
बाल पंचायत में पुकार, माता-पिता को न्याय दो सरकार
रुद्रपुर। इंटरार्क कंपनी से निकाले गए 354 श्रमिकों के बच्चों ने बुधवार को फिर से न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने श्रम विभाग परिसरमें बाल पंचायत कर कंपनी प्रबंधन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बच्चों ने कहा कि शासन की ओर से 30 मई को इंटरार्क कंपनी में तालाबंदी को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है। एक जून को कुमाऊं कमिश्नर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि दो दिन में सभी श्रमिकों को तीन महीने का वेतन भुगतान कर दिया जाएगा लेकिन कुछ नहीं हुआ। बच्चों के अनुसार वेतन नहीं मिलने से फीस जमा नहीं हो पाई है। इस कारण स्कूल से उन्हें निकाला जा रहा है। कुछ को स्कूल की ओर से फीस भरने के नोटिस मिल रहे हैं। इसके बावजूद सहायक श्रमायुक्त व जिला प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं की जा रही है।
बच्चों ने कहा कि किच्छा प्लांट में 36 मजदूरों को झूठा आरोप लगाकर तीन महीने के भीतर ही कंपनी के स्टेंडिंग आर्डर का उल्लंघन कर निलंबित कर दिया गया। चार वर्षों से श्रमिकों का वेतन भी नहीं बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई समस्या का समाधान नहीं निकला तो 22 जून को फिर बाल पंचायत की जाएगी। इंटरार्क मजदूर संगठन के अध्यक्ष दलजीत सिंह, वीरेंद्र कुमार, कैलाश भट्ट, लक्ष्मण सिंह, अशोक सिंह, संदीप, कुमकुम, अंशु, अंशिका आदि थे।
इंटरार्क कंपनी को एक करोड़ 84 लाख रुपये का भेजा रीकवरी नोटिस
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