काशीपुर। महिला एवं बाल सहायता समिति कार्यालय में समिति अध्यक्ष और महिला उत्पीड़न संबंधी मामलों की काउंसलर सरोज ठाकुर ने गोष्ठी में अपराजिता के मतलब को समझाया। कहा, महिला को समाज में बराबर का दर्जा दिया जाए तो वह खुद ही मजबूत और आत्मनिर्भर हो जाएंगी।
बृहस्पतिवार को महिला एवं बाल सहायता समिति कार्यालय में अमर उजाला फाउंडेशन के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स अभियान के तहत आयोजित गोष्ठी में महिला वक्ताओं ने महिला सशक्तीकरण विषय पर अपने विचार रखे। नन्हीं बालिकाओं ने नारी शक्ति पर कविता पाठ कर खूब वाहवाही लूटी। कार्यक्रम की शुरुआत बिना नारी बनता नहीं एक सुखी परिवार, नारी को सम्मान दो यह है उसका अधिकार… पंक्तियों से हुई। वक्ताओं ने कहा कि एक सशक्त महिला वही होती है जो शिक्षित हो। शिक्षित महिला से परिवार शिक्षित होता है और तरक्की के रास्ते खुलते हैं। कार्यक्रम के दौरान महिला वक्ताओं ने कहा कि हमें अपनी बेटियों को अच्छे संस्कार देने होंगे, तभी महिला सशक्तीकरण का अर्थ सार्थक होगा।
हर मां को अपने बेटे-बेटी को समानता की नजर से देखना चाहिए। खासकर बेटियों के साथ मां को मजबूती के साथ खड़ा होना चाहिए। जब तक महिला आत्मनिर्भर नहीं होगी तब तक समाज में महिला सशक्तीकरण नहीं हो सकता। – सरोज ठाकुर, अध्यक्ष-महिला एवं बाल सहायता समिति
महिला सशक्तीकरण अपने घर से ही शुरू हो सकता है। यदि महिला को घर में उच्च दर्जा दिया जाए तो वह खुद ही शक्तिशाली हो जाएगी। महिलाओं को यदि घर-परिवार में जिम्मेदारी मिले तो वह खुद को बेहतर साबित कर सकती है। – रिचा गुप्ता, शिक्षिका, सदस्य-जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन ऊधमसिंह नगर
महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए, तभी यह समाज तरक्की करेगा। क्योंकि बच्चे जैसा माहौल घर में देखते हैं वैसे ही वह व्यवहार घर से बाहर करते हैं। इसलिए महिलाओं का शिक्षित होना और सम्मान देना जरूरी है। – अंजू पंत, सचिव-महिला एवं बाल सहायता समिति
नन्हीं बालिकाओं ने ये प्रस्तुतियां दी
कक्षा नौंवी में पढ़ने वाली छात्रा आंचल ने जिम्मेदारियों का बोझ परिवार पर पड़ा तो, ऑटो-रिक्शा और बस-ट्रक चलाने लगी बेटियां… और कक्षा आठवीं में पढ़ने वाली छात्रा रागिनी ने कलियों को खिल जाने दो, मीठी खुशबू फैलाने दो, बंद करो उनकी हत्या, अब जीवन ज्योत जलाने दो… पंक्तियां प्रस्तुत की।
बिना नारी बनता नहीं एक सुखी परिवार
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