टनकपुर (चंपावत)। रेलवे ने अपनी जमीन पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ मंगलवार को अभियान चलाया। सुरक्षा बलों की मौजूदगी में रेलवे स्टेशन, वर्मा लाइन के पास के 100 से अधिक कच्चे निर्माण (झुग्गी झोपड़ी) और दो पक्के मकानों को बुलडोजर से तोड़ा गया। प्रभावित लोगों ने चेयरमैन विपिन कुमार की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाओ अभियान का विरोध किया। विरोध बढ़ता देख रेलवे को साढ़े तीन बजे कार्रवाई रोकनी पड़ी। सुबह साढ़े दस बजे बाद दो बुलडोजरों की मदद से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सबसे पहले रेलवे स्टेशन प्रवेशद्वार के पास चार दशक पहले बना टिंकू गुप्ता के पक्के मकान को ध्वस्त करने से हुई। इसके बाद सुनील शुक्ला के पक्के मकान का आधा हिस्सा तोड़ा गया। फिर एक-एक कर साढ़े तीन बजे तक 100 से अधिक कच्चे मकान तोड़े गए। बताया गया कि कई झुग्गी-झोपड़ी स्थानीय लोगों ने किराये पर लगाए थे।
इस बीच कुछ लोगों के विरोध को देखते हुए एसडीएम हिमांशु कफल्टिया ने रेलवे, पुलिस और नगर पालिका के अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर तीन सदस्यीय समिति बनाई। यह समिति भूमि के स्वामित्व के विवाद को निपटाने के लिए जमीन के दस्तावेजों की जांच करेगी।
पहले भी किया था कब्जे हटाने का प्रयास
रेलवे प्रशासन ने पहले भी अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया था लेकिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता की वजह से अभियान को बीच में स्थगित करना पड़ा था। इस बार रेलवे प्रशासन ने 20 जून तक अतिक्रमण खुद हटाने के नोटिस जारी किए थे लेकिन इन नोटिसों को अतिक्रमणकारियों ने तवज्जो नहीं दी।
रोडवेज स्टेशन के पास प्रदर्शन, भाजपा विरोधी नारे लगाए
टनकपुर (चंपावत)। रेलवे की भूमि से हटाए जाने से नाराज लोगों ने रोडवेज स्टेशन के बाहर प्रदर्शन कर विरोध जताया। गुस्साए लोगों ने भाजपा, उनके कई नेता और पूर्व जन प्रतिनिधियों के खिलाफ नारेबाजी कर बैनर और झंडे फाड़े।
ये अधिकारी शामिल थे
पूर्वोत्तर रेलवे क्षेत्र के पीलीभीत के अधिकारी आरके के मिश्रा, सीनियर सेक्शन इंजीनियर फारूक शेख और एमएल मीना, रेलवे पुलिस फोर्स के निरीक्षक शहनबाज हुसैन, टनकपुर की तहसीलदार पिंकी आर्या, कोतवाल चंद्रमोहन सिंह, दरोगा सुरेंद्र कोरंगा आदि।
पक्ष ही नहीं विपक्ष के नेता भी नहीं आए नजर
टनकपुर (चंपावत)। इस वक्त न विधानसभा चुनाव है और न ही लोकसभा या न कोई अन्य चुनाव। ऐसे में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई के विरोध में कोई सियासत भी नहीं हुई। न नेता मौके पर विरोध जताने पहुंचे और न ही कहीं सांकेतिक धरना, प्रदर्शन या कोई उपवास हुआ। भाजपा का कोई बड़ा नेता मौके पर नहीं था। बात-बात पर विरोध करने वाली कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी पूरे परिदृश्य से गायब थी जबकि पिछली बार विधानसभा चुनाव से एन पहले 10 जनवरी को हो रहे अभियान में सत्ता पक्ष ने भी अतिक्रमण रोकने में ताकत झोंकी थी, तो विपक्ष भी जन संवेदना दिखाने में पीछे नहीं था। मंगलवार को सिर्फ नगर पालिकाध्यक्ष विपिन वर्मा मौके पर थे। 200 झुग्गी-झोपड़ी और 150 पक्के मकान रेलवे की जमीन पर हैं। पहले चरण में 200 झुग्गी-झोपड़ी को तोड़ा जाना है। – आरके मिश्रा, रेलवे अधिकारी
रेलवे अतिक्रमण मामले में पहले जमीन के स्वामित्व का मामला तय होना चाहिए। इसके लिए प्रशासन के जरिए संयुक्त समिति बनाई गई है। समिति दस दिन के भीतर स्थिति साफ करेगी। किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। – कैलाश गहतोड़ी, अध्यक्ष, उत्तराखंड वन विकास निगम।
टनकपुर में रेलवे ने 102 अतिक्रमणों पर चलाया बुलडोजर
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