बागेश्वर। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की चाहत के कारण गांव खाली होते जा रहे हैं। बेेहतर सुविधाओं की तलाश लोगों को पलायन के मजबूर कर रही है। कई गांवों के सामने अस्तित्व बचाने का संकट पैदा हो रहा है। बागेश्वर जिले के टिटोली गांव के बाहर बस गए प्रवासियों ने इस पीड़ा को महसूस किया है। रिवर्स पलायन और अपनी विरासत को सहेजने के लिए उन्होंने बीड़ा उठाया है। विभिन्न शहरों से गांव पहुंचे लोगों ने केक काटकर न सिर्फ गांव का 129वां स्थापना दिवस मनाया बल्कि साल में दो से तीन बार गांव आकर विकास कार्य करने की शपथ भी ली।
गांव के रिटायर्ड मेजर बीएस रौतेला दो अप्रैल को संवत्सर प्रतिपदा के दिन अपने घर तो उन्होंने ग्रामीणों के साथ बैठकर विकास पर चर्चा की। इस दौरान गांव का स्थापना दिवस मनाने की रूपरेखा तय की गई। बाहर बस गए परिवारों ने भी गर्मियों की छुट्टी में कार्यक्रम में आने की सहमति जताई। शुक्रवार को ग्रामीणों ने धूमधाम से गांव का स्थापना दिवस मनाया। कार्यक्रम में गांव में रहने वाले पांच परिवारों के अलावा मुंबई से आए तीन परिवार, दिल्ली से आए दो परिवार और हल्द्वानी में रहने वाले गांव के कई लोगों ने भी भाग लिया। इस दौरान प्रवासियों ने रिवर्स पलायन के तहत गांव को आबाद रखने और विरासत को जीवित रखने का संकल्प लिया।
ऐसे बसा गांव
24 जून 1894 को काफलीगैर तहसील के छौना बिलौरी से कांडा आए भवान सिंह रौतेला ने 99 रुपये में जमीन खरीदकर टिटोली गांव को बसाया था। उनके दो बेटों जीवन सिंह और राम सिंह के तीन-तीन बेटों ने गांव का विस्तार किया। धीरे-धीरे गांव की आबादी 10 परिवार से अधिक हो गई। हालांकि इस समय अधिकतर परिवारों के गांव छोड़ने के कारण यहां सिर्फ पांच परिवार ही बचे हैं।
वरिष्ठ नागरिक नारायण सिंह रौतेला ने काटा केक
बागेश्वर। स्थापना दिवस कार्यक्रम की शुरुआत मार्कंडेय पूजा से हुई। वरिष्ठ नागरिक नारायण सिंह रौतेला ने केक काटा। ग्रामीणों ने अपने-अपने घरों में पकवान बनाए। मेजर बीएस रौतेला ने बताया कि वर्ष 1870 में उनके परदादा भवान सिंह रौतेला छाना बिलौरी से कांडा क्षेत्र में आए तो उन्होंने धपोलासेरा, भदौरा, भेटा आदि गांवों में शरण ली थी। बाद में उन्होंने टिटोली में जमीन खरीदकर घर बनाया। कार्यक्रम में दीवान सिंह, आनंद सिंह, राजेंद्र सिंह रौतेला, कृृपाल सिंह, गोविंद सिंह आदि मौजूद रहे।
वीर जवानों का गांव है टिटोली
बागेश्वर। वर्ष 1916 में गांव के गुमान सिंह रौतेला सेना में भर्ती होने वाले पहले व्यक्ति थे। धन सिंह रौतेला ने द्वितीय विश्व युद्ध और 1948 में हुए भारत-पाक युद्ध में अदम्य साहस का परिचय दिया था। इसके लिए उन्हें सेना के वीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस समय भी गांव के कई लोग सेना में हैं।
हैप्पी बर्थ डे टिटोली, साल में दो बार देंगे विकास का गिफ्ट
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