रुद्रपुर। जिला अस्पताल पर मरीजों की बढ़ती निर्भरता और डॉक्टरों की कमी बड़ी समस्या बनती जा रही है। गर्भवती महिलाओं से लेकर मौसमी बीमारियों से ग्रसित लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार को संवाद न्यूज एजेंसी की टीम ने जिला अस्पताल में मिल रहीं स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया तो कई खामियां उजागर हुईं। सुबह करीब साढ़े 10 बजे जिला अस्पताल के ओपीडी पंजीकरण कक्ष में पर्चा बनवाने के लिए मरीजों व तीमारदारों की भीड़ दिखी। फिजिशियन की ओपीडी में नंबर के लिए मरीजों में धक्का-मुक्की व कहासुनी होती नजर आई। लाइन लंबी होने के कारण कई मरीज थककर जमीन पर बैठ गए। बाल रोग विशेषज्ञ की ओपीडी में मरीजों की भीड़ रही।
जिला अस्पताल के वार्ड में एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती दिखी लेकिन कोई नर्स उसके पास नहीं पहुंची। महिला के परिजन उसे संभालते हुए नजर आए। दोपहर दो बजे तक जिला अस्पताल में नॉर्मल डिलीवरी से सात शिशुओं का जन्म हुआ जबकि एक गर्भवती को एसटीएच हल्द्वानी रेफर किया गया। इधर, अल्ट्रासाउंड केंद्र बंद पड़ा होने से करीब 60 महिलाओं को बैरंग लौटना पड़ा। महिलाओं का कहना था कि अल्ट्रासाउंड केंद्र दो दिन से बंद हैं जिस कारण गर्भवती महिलाओं को निजी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिए महंगी फीस देनी पड़ रही है। एक्सरे की जांच के लिए काफी कम मरीज पहुंचे थे। आयुष्मान केंद्र पर सुनसानी पसरी रही। केंद्र के कर्मचारी ने बताया कि दिन में पांच-छह कार्ड बन रहे हैं। इसके अलावा पैथोलॉजी लैब पर जांच के लिए लोगों मेें मारामारी की स्थिति रही। कई मरीज ओपीडी का पर्चा बनाकर डॉक्टरों की तलाश में भटकते दिखे।
एक महीने में 33 गर्भवती महिलाओं को किया रेफर
रुद्रपुर। वर्तमान में जिला अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ के सात पद सृजित हैं। इनमें से छह पदों पर चार नियमित व दो संविदा डॉक्टर तैनात हैं। इसके बावजूद भर्ती सभी गंभीर गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी नहीं हो पा रही है, जिन्हें एसटीएच हल्द्वानी रेफर किया जा रहा है। जून में जिला अस्पताल में कुल 315 शिशुओं का जन्म हुआ। इनमें 45 गर्भवती महिलाओं का प्रसव सीजेरियन से हुआ। इसके साथ ही 33 गर्भवती महिलाओं को एसटीएच रेफर किया गया।
44 नर्सिंग स्टाफ फिर भी गर्भवती महिलाओं की नहीं हो रही देखभाल
रुद्रपुर। जिला अस्पताल में वर्तमान में 44 नर्सिग स्टाफ तैनात हैं, इसके बावजूद गर्भवती महिलाओं की उचित देेखभाल नहीं हो पा रही है। जच्चा-बच्चा वार्ड में महिलाओं की उचित देखभाल न होने के कारण तीमारदारों को देखभाल करनी पड़ रही है। जिला अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ के 48 पद सृजित हैं, जिनमें चार रिक्त हैं। वर्तमान में यहां दो सहायक नर्सिंग अधीक्षक, 11 नियमित नर्सिंग ऑफिसर, 31 संविदा व आउटसोर्स के माध्यम से तैनात हैं।
कोट
मेरी बच्ची का ऑपरेशन होना है। गदरपुर सीएचसी से बच्ची को जिला अस्पताल रेफर किया गया था। मैं और मेरी पत्नी सुबह से भटक रहे है लेकिन अभी तक कोई डॉक्टर नहीं मिला है। – कमल सिंह।
मुझे मेडिकल बनवाना था। सुबह से मैं जिला अस्पताल के कई कक्षों में पहुंच चुका हूं लेकिन मेडिकल नहीं बन सका है। जिला अस्पताल में अन्य मरीजों को भी काफी दिक्कतें हो रही हैं। – आकाश।
अल्ट्रासाउंड केंद्र के रेडियोलोजिस्ट अवकाश पर हैं, जिस कारण सोमवार को महिलाओं का अल्ट्रासाउंड नहीं हो सका। उनके लौटते ही अल्ट्रासाउंड शुरू हो जाएंगे। कुछ डॉक्टरों की ड्यूटी चारधाम यात्रा में लगी है, जिस कारण मरीजों को ओपीडी में थोड़ी दिक्कतें हो रही हैं। – डॉ. आरके सिन्हा, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल।