Wednesday, December 3, 2025
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देवभूमि के शिवालयों में उमड़ी भीड़, शिव के ससुराल में लगे हर-हर महादेव के जयकारे

सावन की शिवरात्रि के मौके पर देवभूमि उत्तराखंड के शिवालयों में सुबह से ही भगवान भोलेनाथ के जयकारे लगते रहे। हरिद्वार में दक्ष प्रजापति और विल्वकेश्वर महादेव मंदिर समेत प्रदेश के शिवालयों में श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी रही। श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जल, दूध से अभिषेक कर बिल्व पत्र एवं प्रसाद चढ़ाकर परिवार की खुशहाली की कामना की। नीलकंठ धाम में सुबह 10 बजे से अब तक 25000 श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए पहुंचे। श्रद्धालु पूरे दिन भोलेनाथ का अभिषेक कर सकेंगे। इस श्रावण में आद्रा नक्षत्र जिसके स्वामी स्वयं रुद्र हैं। शिव पुराण और स्कंध पुराण में इसमें जल चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है। भारतीय प्राच विद्या सोसाइटी कनखल प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक आज शिव चौदस है। साथ ही आद्रा नक्षत्र भी है। पूरे दिन शिव अभिषेक का मुहूर्त है, लेकिन शाम को सात बजे से भद्रा प्रारंभ हो जाएगी और पूरी रात रहेगी। इस बार भद्रा भी स्वर्ग में होने के कारण कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होगा।
प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक शाम को 7:23 बजे से 8:20 बजे तक प्रदोष काल में भी विशेष पूजा होगी। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस, रोग निवृति के लिए गिलोय, पुत्र प्राप्ति के लिए दूध, विजय के लिए घी, मन वांछित वर प्राप्ति के लिय शहद, राजनीति में सफलता के लिए भगवान पर माणिक चढ़ाना शुभ होगा। शत्रु मर्दन के लिए मूंगा और शिव कृपा प्राप्ति के लिए रुद्राक्ष भगवान पर अर्पित कर सकते हैं। वहीं, भगवान शिव की ससुराल दक्षेश्वर महादेव का नजारा भी आज देखने वाला है। आकर्षक ढंग से सजाएं गए भगवान शंकर की ससुराल दक्ष प्रजापति मंदिर में शिवरात्री पर देर रात से ही भक्तो का सैलाब उमड़ने लगा था। दक्ष मंदिर के मुख्य पुजारी स्वामी विशेश्वर पुरी महाराज का कहना है कि सावन में शिवरात्रि पर भोलेनाथ का अभिषेक करने का विशेष महत्व है और ऐसा करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव सावन में साक्षात रूप में दक्ष प्रजापति महादेव मंदिर में विराजमान रहते हैं। और वे मात्र जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते है ।
वहीं, गुरु पूर्णिमा से शुरू हुई कावड़ यात्रा भी आज शिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के साथ संपन्न हो गई। देश भर से आए करोड़ों भोले के भक्त मनोकामना पूरी होने पर अगले वर्ष दोबारा जल चढ़ाने का संकल्प लेकर अपने-अपने घरों को लौट गए। हरिद्वार में अब तक 3 करोड़ 50 लाख 70 हजार श्रद्धालु वापसी कर चुके हैं।

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