हल्द्वानी/कालाढूंगी। बैलपड़ाव में पकड़े गए 15 क्विंटल सरकारी चावल के बाद सरकारी गल्ले की कालाबाजारी का पर्दाफाश हुआ है। चोरी से ले जाया जा रहा माल पकड़े जाने के बाद पूर्ति विभाग ने सामने आए खरीदार और विक्रेताओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की अनुमति मांगी है। शुक्रवार को कमलुवागांजा स्थित एसडब्ल्यूसी गोदाम से पांच ट्रकों में द्वाराहाट में सप्लाई के लिए सरकारी चावल भेजा गया था। गोदाम से पर्वतीय क्षेत्रों को रवाना हुए ट्रक जब रानीबाग पहुंचे तो एक निजी व्यापारी को पांच ट्रकों में से 15 क्विंटल चावल निकालकर बेच दिया गया। इसके बाद खरीदार ने उस 15 क्विंटल माल रामनगर के बाजार में बिकने के लिए भेज दिया। हल्द्वानी से रामनगर जाते समय बैलपड़ाव पर पुलिस ने जब चेकिंग के दौरान वाहन को रोका तो उसमें वही 15 क्विंटल चावल बरामद हुआ जो द्वाराहाट में सरकारी गल्ला केंद्रों पर पहुंचना था। गाड़ी में मौजूद सरकारी बोरियों से सस्ता गल्ला की पहचान हुई तो पूर्ति विभाग को सूचित किया गया और टीम ने मौके पर पहुंचकर गाड़ी चालक और माल को कब्जे में ले लिया। चालक से जब चावल लाने-जाने और खरीद के कागजात मांगे गए तो उसके पास वह भी नहीं थे। पूछताछ के बाद पूर्ति विभाग ने डीएम को पत्र लिखकर आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की अनुमति मांगी है। डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल का कहना है कि पूर्ति विभाग की ओर से जो पत्र भेजा गया है उस पर कार्रवाई की जा रही है।
ऐसे होता है खेल
हल्द्वानी। एसडब्ल्यूसी के गोदाम से छोटी-बड़ी हर तरह की गाड़ियों में माल को दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंचाया जाता है। रास्ते में ही इसमें से कुछ बोरियां व्यापारी को बेच दी जाती हैं और उनसे ड्राइवरों की कीमत मिलती है, वहीं जिन सरकारी गल्ला केंद्रों पर माल पहुंचना होता है वहां जाने से पहले ड्राइवर बची हुई हर बोरी में परखी मारकर कम हुई बोरियों को पूरा कर लेते हैं। चूंकि पर्वतीय क्षेत्रों में धर्मकांटा न होने की वजह से वजन बोरियों के मुताबिक ही तय हो जाता है और बोरियां ड्राइवर परखी मारकर पहले ही पूरी कर चुके होते हैं।
विभाग सक्रिय होता तो पहले ही पकड़ा जा सकता था खेल
हल्द्वानी। गोदाम से लेकर तय पर्वतीय केंद्रों तक माल पहुंचाए जाने की जिम्मेदारी पूर्ति विभाग की होती है। साथ ही समय-समय पर गल्ला ले जाने वाले वाहनों का निरीक्षण करने की भी जिम्मेदारी होती है लेकिन पूर्ति विभाग के यह निरीक्षण और निगरानी केवल कागजी ही रही और विभागीय बेपरवाही खुलकर सामने आई। विभाग अगर समय-समय पर कही जाने वाली निरीक्षण और जांच की बातों को खुद भी गंभीरता से लेता तो शायद यह खेल बहुत पहले ही सामने आ गया होता। शनिवार को चोरी से ले जाए जा रहे सरकारी गल्ले को पकड़े जाने के बाद जब ड्राइवर से पूछताछ की गई तो पांच अन्य ड्राइवरों के नाम भी सामने आए जो लंबे समय से सरकारी गल्ले को बेंचने का काम करते आ रहे हैं। वहीं शुक्रवार को जिस व्यापारी ने पंद्रह कुंतल माल को खरीदा था उसका नाम भी सामने आया है।
धड़ल्ले से चल रहा सरकारी गल्ले की कालाबाजारी का खेल
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