अल्मोड़ा। बेटियां आने वाला कल है। बेटियों को भी बेटों की तरह समान अवसर उपलब्ध कराने होंगे। आज बेटियां अपनी प्रतिभा से हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। अमर उजाला फाउंडेशन के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत खत्याड़ी स्थित जन मिलन केंद्र में महिला स्वास्थ्य और शिक्षा विषय पर हुई गोष्ठी में वक्ताओं ने शुक्रवार को यह विचार रखे।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बेस अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक और ईएनटी सर्जन डॉ. एचसी गड़कोटी ने कहा कि बेटा और बेटी की परवरिश में भेदभाव नहीं करना चाहिए। खुद के प्रति भेदभाव होते देख कई बार बेटियों का आत्मविश्वास कमजोर पड़ जाता है जो उनकी सफलता में रोड़ा बन सकता है। अभिभावकों को बेटियों को भी अच्छी शिक्षा दिलानी चाहिए। बेटियां शिक्षित होंगी तो दो घरों और पूरे समाज को शिक्षित करेंगी। कार्यक्रम में मौजूद आरसेटी की प्रशिक्षक कमला भंडारी ने मौन पालन से स्वरोजगार के तरीके बताए। उन्होंने कहा कि महिलाएं मौन पालन कर आर्थिक स्थिति सुधार सकती हैं। वहां पर एसबीआई स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) हवालबाग के निदेशक मोहित चन्याल, राजेंद्र रावत, हरीश सती, पूर्व प्रधान हरीश कनवाल आदि थे।
महिलाओं को स्वास्थ्य के लिए किया जागरूक
अल्मोड़ा। मुख्य अतिथि डॉ. एचसी गड़कोटी ने महिलाओं को स्वास्थ्य का अधिक ख्याल रखने के लिए जागरूक किया। महिलाओं ने हड्डी, जोड़ों का दर्द, कान के इंफेक्शन, ब्रॉन्काइटिस आदि पर कई सवाल पूछे। डॉ. गड़कोटी ने शंकाओं का समाधान किया। उन्होंने बताया कि सर्दी का मौसम शुरू होते ही कुछ बीमारियां भी होने लगती हैं। ठंड के मौसम में सर्दी और खांसी सबसे आम बीमारी है। बदलते मौसम या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से कम प्रतिरक्षा वाले बच्चों पर सीधा असर पड़ सकता है। नाक बंद, छींकना, शरीर में दर्द, खांसी आदि सामान्य सर्दी और फ्लू के आम लक्षण हैं। सर्दी के मौसम में अत्यधिक ठंड और नमी से भी कान के इंफेक्शन का जोखिम बढ़ता है। कान का संक्रमण सर्दी की एक आम समस्या है। कान का बंद होना और खुजली के साथ-साथ दर्द भी सर्दी से संबंधित समस्या का प्राथमिक लक्षण है। नाक और कान को एक ट्यूब जोड़ती है। वह बढ़ने पर कान के पर्दे वाले हिस्से को अपनी ओर खींचती हैं। च्यूइंगम और टॉफी चबाने से बीमारी में राहत मिलती है। उन्होंने ठंड के मौसम में ब्रॉन्काइटिस, साइनासिटिस, पेट का फ्लू समेत विभिन्न रोगों के लक्षण और बचाव की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन सभी बीमारियों का इलाज आसानी से उपलब्ध है। इनके लक्षणों को टालें नहीं और फौरन डॉक्टर से सलाह लें।
ये रहे मौजूद
गीता कनवाल, कमला कार्की, विमला देवी, कमला देवी, बसंती मर्तोलिया, भगवती देवी, कोमल बिनवाल, गीता देवी, दीपा सैनारी, रिंकी बिष्ट, शिप्रा रावत, बबीता मेहरा, दीपा मर्तोलिया, नेहा ढैला, गीता देवी, कमला नयाल समेत खत्याड़ी, महतगांव, डाल, थपलिया, नैनोली समेत विभिन्न क्षेत्रों की महिलाओं ने भाग लिया।
बेटियां आने वाला कल, पढ़ाएं-लिखाएं, आगे बढ़ने दें.
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